नई दिल्ली। योजना आयोग के पूर्व सदस्य किरिट पारिख ने एक ऐसा सुझाव दिया है यदि संतुलित कदम उठाया जाए तो इसकी मदद से सरकार के राजस्व को बिना नुकसान पहुंचाए पेट्रोल और डीजल की कीमतों को 5-6 रुपए प्रति लीटर तक घटाया जा सकता है। पारिख ने सुझाव दिया कि यदि राज्य सरकारें मूल्य वर्द्धित कर (वैट) को घटा दें और केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी में 10 प्रतिशत कटौती कर दे तो राजस्व पर कोई प्रभाव पड़े बगैर पेट्रोल-डीजल की कीमतों को कम किया जा सकता है।
इंडियन एक्सप्रेस में लिखे गए एक लेख में पारिख ने कहा है कि इस साल कच्चे तेल के दाम 85 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने के बावजूद घरेलू बाजार में ईंधन के दाम में 5-6 रुपए लीटर की कटौती की जा सकती है। उनके अनुसार, कच्चे तेल और रुपए में उतार-चढ़ाव के आधार पर सरकार का वार्षिक राजस्व 10 से लेकर 16.5 प्रतिशत तक बढ़ेगा। यदि कच्चे तेल का दाम 70 डॉलर प्रति बैरल पर भी रहता है, तब भी सरकार को अनुमान से 20,000 करोड़ रुपए का अधिक राजस्व मिलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार ईंधन में 1.5 रुपए प्रति लीटर की कटौती कर सकती है और इससे उसके राजस्व पर भी कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि यदि संतुलित कदम उठाया जाए तो कीमत में कुल कटौती 5-6 रुपए प्रति लीटर हो सकती है। 2017-18 में केंद्र सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों पर एक्साइज ड्यूटी के जरिये 2,29,000 करोड़ रुपए का राजस्व एकत्रित किया है। यदि एक्साइज ड्यूटी में 10 प्रतिशत की कटौती की जाती है, तो राजस्व में केवल 22,900 करोड़ रुपए की कमी आएगी। मौजूदा समय में पेट्रोल पर 19.48 रुपए और डीजल पर 17.24 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी है। पारिख चाहते हैं कि इसे घटाकर पेट्रोल पर 17.50 रुपए लीटर और डीजल पर 15.50 रुपए प्रति लीटर कर दिया जाए।
इस 22,900 करोड़ रुपए के नुकसान की भरपाई के लिए पारिख ने सुझाव दिया है कि सरकार माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के स्लैब को 5 से बढ़ाकर 5.2 प्रतिशत, 12 से बढ़ाकर 12.48 प्रतिशत और 28 से बढ़ाकर 29.12 प्रतिशत कर सकती है।
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