आने वाले दिनों में बढ़ सकते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम, दुनिया की इस बड़ी कंपनी ने जताई आशंका
दुनिया की सबसे बड़ी तेल उत्पादक कंपनी सऊदी अरामको पर ड्रोन हमले के बाद वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की आपूर्ति में प्रति दिन 57 लाख बैरल की कमी आई है, जो कंपनी के कुल उत्पादन का लगभग आधा है। इसके चलते आने वाले महीनों में पूरी दुनिया सहित भारतीय बाजार में कच्चे तेल की आपूर्ति प्रभावित होने का अनुमान है।
रियाद। सउदी अरब की कंपनी अरामको कच्चा तेल संयंत्रों पर ड्रोन हमले के बाद बाजार में फैली घबराहट दूर करने की कोशिशें कर रही है। दुनिया की सबसे बड़ी तेल उत्पादक कंपनी सऊदी अरामको पर ड्रोन हमले के बाद वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की आपूर्ति में प्रति दिन 57 लाख बैरल की कमी आई है, जो कंपनी के कुल उत्पादन का लगभग आधा है। इसके चलते आने वाले महीनों में पूरी दुनिया सहित भारतीय बाजार में कच्चे तेल की आपूर्ति प्रभावित होने का अनुमान है। अगर ऐसा होता है तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें तेजी से बढ़ जाएंगी जिसका सीधा असर भारतीय बाजार पर भी होगा। यहां भी पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दाम में बढ़ोतरी हो सकती है।
अरामको कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिन नसीर ने बाजार को आश्वस्त करने की कोशिश करते हुए कहा, 'उत्पादन क्षमता को पुन: पुराने स्तर पर लाने के लिए काम चल रहा है।' ब्लूमबर्ग न्यूज ने भी खबर दी है कि अरामको को कुछ ही दिनों में अधिकांश परिचालन पुन: शुरू कर लेने की उम्मीद है। यह ड्रोन हमला ऐसे समय हुआ है जब कंपनी 100 अरब डॉलर की पूंजी जुटाने के लिये आईपीओ (प्रथम सार्वजनिक शेयर बिक्री) की तैयारी में है।
विश्लेषकों का मानना है कि इस हमले से शायद ही आईपीओ की योजना टले लेकिन कंपनी के मूल्यांकन पर इसका असर देखने को मिल सकता है। सउदी इंक किताब के लेखक एलेन वाल्ड ने कहा, 'सउदी अरब के पास प्रचूर मात्रा में तेल का भंडार है जिससे उपभोक्ताओं की मांग को पूरा किया जा सकता है। मुझे नहीं लगता कि इस कारण अरामको को किसी तरह का आर्थिक नुकसान होने वाला है।' ऐसा माना जाता है कि सउदी अरब के पास कई भूमिगत भंडारण संयंत्र हैं जिनमें विभिन्न परिशोधित पेट्रोलियम उत्पादों के लाखों बैरल भंडारित हैं। संकट के समय इनका इस्तेमाल किया जा सकता है।
भारतीय अर्थव्यवस्था की चुनौतियां बढ़ेंगी
एनर्जी विशेषज्ञों के अनुसार, ईरान और अमेरिका के बीच पहले से जारी तनाव के बीच अरामको पर हमले के बाद खाड़ी क्षेत्र में तनाव और बढ़ जाने की आशंका है। अगर खाड़ी क्षेत्र में तनाव गहराता है तो कच्चे तेल की कीमतें में आने वाले समय में बड़ी तेजी देखने को मिल सकती है। रूस व ओपेक देशों द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती के बीच अरामको पर यह हमला कच्चे तेल के वैश्विक बाजार में तूफान ला सकता है। ऐसा होने से भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतियों और बढ़ जाएंगी क्योंकि भारत अपने जरूरत का करीब 80 फीसदी तेल आयात करता है।
एशिया सबसे बड़ा खरीदार
अरामकों ने पिछले साल प्रतिदिन 70 लाख बैरल क्रूड का निर्यात किया था। इसका तीन-चौथाई हिस्सा एशियाई देशों को सप्लाई किया जाता है। ऐसे में अगर तेल की कीमतें बढ़ीं या तेल संकट गहराया तो भारत समेत अन्य एशियाई देशों पर इसका सबसे पहले असर पड़ेगा। भारत जिन आठ देशों से तेल खरीदता है, उसमें सऊदी अरब दूसरे नंबर है। भारत ने वर्ष 2017-18 के बीच सऊदी अरब से 3.61 करोड़ बैरल और वर्ष 2018-19 में 4.03 करोड़ बैरल तेल का आयात किया था।
एक नजर में जानिए सबसे अमीर तेल कंपनी अरामको के बारे में
- अरामको के पास दुनिया के कुछ सबसे बड़े तेल भंडार वाले क्षेत्र हैं और कंपनी को ये तेल भंडार बहुत कम कीमत पर मिले हैं।
- इस कंपनी की स्थापना अमरीकी तेल कंपनी ने की थी।
- अरामको का मतलब है 'अरबी अमरीकन ऑयल कंपनी'।
- 1933 में स्थापित कंपनी का 1970 में राष्ट्रीयकरण हुआ
- 7.8 लाख करोड़ रुपए थी 2018 में अरामको की कमाई
- 65 हजार कर्मचारी वाली कंपनी हर दिन 1 अरब डॉलर कमाती है
- 125 करोड़ बैरल प्रतिदिन तेल उत्पादन होता है इसमें
- 5 प्रतिशत से अधिक तेल आपूर्ति दुनिया को यह कंपनी करती है।
- बीबीसी के अनुसार वर्ष 2018 में अरामको की कमाई 111 अरब डॉलर थी। पिछले वर्ष अरामको ने सऊदी अरब सरकार को 160 अरब डॉलर का राजस्व दिया था।