नई दिल्ली: कोविड-19 की वजह से राज्यों में लगे लॉकडाउन में ढील के साथ भारत में जून के पहले पखवाड़े में ईंधन की मांग फिर से बढ़ गयी लेकिन पिछले साल के मुकाबले खपत अब भी कम है। सरकारी पेट्रोलियम कंपनियों के आंकड़े के मुताबिक जहां एक से 15 जून के बीच पेट्रोल की बिक्री में 13 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी, डीजल की खपत में 12 प्रतिशत वृद्धि देखी गयी। मार्च के बाद पहली बार किसी महीने में ईंधन की मांग में वृद्धि हुई है।
कोविड-19 की दूसरी लहर के शुरू होने से पहले इस साल मार्च में ईंधन की मांग सामान्य स्तर के आसपास पहुंच गयी थी। लेकिन महामारी का प्रकोप बढ़ने के साथ अलग-अलग राज्यों में लॉकडाउन लगने की वजह से वाहनों की आवाजाही कम हो गयी और साथ ही आर्थिक गतिविधि पर असर पड़ा जिससे ईंधन की मांग कम हो गयी। मई में ईंधन की खपत अगस्त 2020 के बाद से सबसे कम थी।
महामारी की दूसरी लहर का प्रकोप कम होने के साथ देश के अलग-अलग हिस्सों में लॉकडाउन में ढील दी जा रही है जिससे ईंधन की मांग धीरे-धीरे बढ़ रही है। एक से 15 जून के बीच देश में 24.8 लाख टन डीजल की बिक्री हुई जो पिछले साल इसी अवधि में हुई बिक्री से 7.5 प्रतिशत और कोविड से पहले जून 2019 में हुई बिक्री से 21.4 प्रतिशत कम है।
हालांकि सालाना आधार पर पेट्रोल की 9,04,900 टन के स्तर पर बिक्री 3.5 प्रतिशत कम रही। यह जून 2019 में हुई बिक्री से 20.7 प्रतिशत कम है। इनकी तुलना में रसोई गैस एकमात्र ऐसा ईंधन है जिसकी खपत पहले लॉकडाउन में भी बढ़ी। मासिक आधार पर इसकी खपत 11 लाख टन के साथ 1.3 प्रतिशत कम थी लेकिन पिछले साल की तुलना में इसमें 14.6 प्रतिशत और जून 2019 की तुलना में 2.19 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी।
यात्रा संबंधी रोक की वजह से विमान सेवाओं के पूर्ण स्तर पर चालू न होने के साथ विमान ईंधन की 1,07,400 टन की बिक्री दर्ज की गयी। इसमें मासिक आधार पर 17.4 प्रतिशत की गिरावट देखी गयी लेकिन यह जून 2020 की तुलना में 13.2 प्रतिशत ज्यादा है। वहीं जून 2019 में हुई विमान ईंधन की बिक्री की तुलना में इसमें 65.5 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी।
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