नई दिल्ली: निर्मला सीतारमण ने फिलहाल पेट्रोल, डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती से इनकार किया। उन्होनें कहा कि पूर्व में जारी तेल बांड का भुगतान करना है। पिछली कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने सरकारी तेल कंपनियों को ईंधन के कृत्रिम रूप से दबाए गए खुदरा बिक्री मूल्य और लागत में अंतर के लिए बांड जारी किए थे। इन तेल बांडों और उस पर ब्याज का भुगतान अभी किया जा रहा है। सीतारमण ने कहा कि सरकार ने इन तेल बांडों पर पिछले 5 वर्षों में 60,000 करोड़ रुपये से अधिक ब्याज का भुगतान किया है और अभी भी 1.30 लाख करोड़ रुपये बकाया है। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, "अगर मुझ पर तेल बांड भरने का बोझ नहीं होता तो मैं ईंधन पर उत्पाद शुल्क कम करने की स्थिति में होती।"
इसके अलावा उन्होनें कहा कि वित्त मंत्रालय के अधिकारी केयर्न, वोडाफोन से पिछली तिथि के कर मामलों को बंद करने, रिफंड और निपटान के लिए बातचीत कर रहे हैं। सीतारमण ने कहा कि आगामी महीनों में राजस्व प्राप्ति बेहतर रहने और मांग के रफ्तार पकड़ने की उम्मीद है। वित्त मंत्री को उम्मीद, मुद्रास्फीति 2-6 प्रतिशत के लक्षित दायरे में बनी रहेगी।
पेट्रोल की मांग में सुधार अगस्त में भी जारी
भारत में ईंधन की मांग में सुधार अगस्त में भी जारी रहा और महामारी संबंधी प्रतिबंधों में ढील के बाद देश में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले ईंधन, डीजल की बिक्री कोविड से पहले के स्तर तक पहुंचने के करीब है। पेट्रोल की बिक्री पहले से ही कोविड से पहले के स्तरों से ऊपर जा चुकी है जबकि डीजल की बिक्री आठ प्रतिशत कम है। सरकार के स्वामित्व वाले ईंधन खुदरा विक्रेताओं ने अगस्त के पहले पखवाड़े में 9.8 लाख टन पेट्रोल बेचा, जो एक साल पहले की अवधि से 9.4 प्रतिशत अधिक है।
वहीं यह कोविड से पहले, 1-15 अगस्त, 2019 में 9.5 लाख टन की पेट्रोल बिक्री की तुलना में 3.7 प्रतिशत अधिक है। डीजल की बिक्री पिछले वर्ष की तुलना में 1-15 अगस्त, 2021 के दौरान 18.5 प्रतिशत बढ़कर 21.1 लाख टन हो गई, लेकिन यह अगस्त 2019 से 7.9 प्रतिशत कम है। पिछले महीने, डीजल की खपत कोविड से पहले के स्तरों की तुलना में 11 प्रतिशत कम रही।
मार्च के बाद यह लगातार तीसरा महीना है जिसमें खपत में वृद्धि देखी गई है। कोविड-19 संक्रमण दूसरी लहर की शुरुआत से पहले इस साल मार्च में ईंधन की मांग लगभग सामान्य स्तर पर पहुंच गई थी। लेकिन इसके बाद विभिन्न राज्यों में लॉकडाउन फिर से लागू हो गया, जिससे आवाजाही ठप हो गई और आर्थिक गतिविधि मंद पड़ गई।
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