महंगे पेट्रोल-डीजल से राहत पर सरकार का ऐलान, पेट्रोलियम उत्पादों पर एक्साइज ड्यूटी घटाने का नहीं है प्लान
केंद्र गरीबों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने के अलावा टीकों और स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे पर पैसा खर्च कर रहा है। ऐसे में राज्य सरकारें कर घटाकर जनता को राहत दे सकती हैं।
नई दिल्ली। देश के तमाम हिस्सों में पेट्रोल-डीजल की कीमत 100 रुपये से अधिक होने के बीच शुक्रवार को महंगे ईंधन से आम जनता को राहत देने पर केंद्र सरकार की ओर से एक ऐलान किया गया, जो काफी निराशाजनक है। शुक्रवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोलियम उत्पादों पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी में किसी भी प्रकार की कटौती से साफ इनकार किया। उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम पदार्थों पर एक्साइज ड्यूटी घटाने को लेकर अभी किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं किया जा रहा है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जब कच्चे तेल के दाम ऊंचे होते हैं तब हम कीमतों को बढ़ाते हैं और जब अंतरराष्ट्रीय कीमत कम होती है, तब हम यहां कीमतों में कटौती भी करते हैं। यह एक बाजार तंत्र है जिसका पालन तेल विपणन कंपनियां करती हैं। हमनें उन्हें स्वतंत्रता दी है।
सीतारमण ने कहा कि केंद्र गरीबों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने के अलावा टीकों और स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे पर पैसा खर्च कर रहा है। ऐसे में राज्य सरकारें पेट्रोल-डीजल पर कर घटाकर जनता को राहत दे सकती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के तहत तभी लाया जा सकता है जब जीएसटी परिषद ऐसा निर्णय ले।
पेट्रोलियम उत्पादों पर 2020-21 में राजस्व 56 प्रतिशत बढ़ा
सूचना के अधिकार के तहत यह पता चला है कि वित्त वर्ष 2020-21 में पेट्रोलियम उत्पादों पर सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क के रूप में केंद्र सरकार का अप्रत्यक्ष कर राजस्व लगभग 56.5 प्रतिशत बढ़कर कुल 4,51,542.56 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया। नीमच के आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने गुरुवार को बताया कि वित्त मंत्रालय से जुड़े प्रणाली और आंकड़ा प्रबंधन महानिदेशालय (डीजीएसडीएम) ने उनकी अर्जी पर सूचना के अधिकार के तहत जानकारी दी है कि वित्त वर्ष 2020-21 में पेट्रोलियम पदार्थों के आयात पर 37,806.96 करोड़ रुपये का सीमा शुल्क वसूला गया, जबकि देश में इन पदार्थों के विनिर्माण पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क के रूप में 4,13,735.60 करोड़ रुपये सरकारी खजाने में जमा हुए।
आरटीआई से मिले ब्योरे के मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 में पेट्रोलियम पदार्थों के आयात पर सरकार को सीमा शुल्क के रूप में 46,046.09 करोड़ रुपये का राजस्व मिला, जबकि देश में इन पदार्थों के विनिर्माण पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क की वसूली 2,42,267.63 करोड़ रुपये के स्तर पर रही। यानी दोनों करों की मद में सरकार ने 2019-20 में कुल 2,88,313.72 करोड़ रुपये कमाए। गौरतलब है कि पेट्रोलियम उत्पादों पर सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क से सरकार का अप्रत्यक्ष कर राजस्व 2020-21 की उस अवधि में बढ़ा, जब देश भर में महामारी के भीषण प्रकोप की रोकथाम के लिए लॉकडाउन और अन्य बंदिशों के चलते परिवहन गतिविधियां लंबे समय तक थमी थीं।