न्यूयॉर्क। पेप्सिको इंडिया ने भारत में चार किसानों के खिलाफ मुकदमा किया है। कंपनी का आरोप है कि ये किसान आलू की उस किस्म की खेती कर रहे थे, जो कंपनी द्वारा अपने लेज पोटेटो चिप्स के लिए एक्सक्लूसिव रूप से रजिस्टर्ड है।
पेप्सिको इंडिया द्वारा इस माह की शुरुआत में गुजरात में यह मुकदमा दायर किया गया था और शुक्रवार को इस पर जिला अदालत में सुनवाई हुई। पेप्सिको का कहना है कि जिन किसानों पर मुकदमा चल रहा है, वह उन हजारों किसानों में से नहीं हैं, जिन्हें इस संरक्षित आलू की किस्म को उगाने के लिए अधिकृत किया गया है।
किसान संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता पेप्सिको का विरोध कर रहे हैं, जिससे भारत में स्थानीय उद्यमों और बड़े वैश्विक खिलाडि़यों के बीच ताजा युद्ध छिड़ने के संकेत मिल रहे हैं। छोटे भारतीय खुदरा कारोबारी वॉलमार्ट और अमेजन जैसी कंपनियों के खिलाफ लगातार प्रदर्शन करते रहते हैं, उनका दावा है कि अमेरिकन खुदरा कंपनियां गलत तरीके से उनके कारोबार को नुकसान पहुंचा रही हैं।
पेप्सिको ने नुकसान की भरपाई के लिए प्रत्येक किसान से 1-1 करोड़ रुपए की मांग की है। कंपनी के प्रवक्ता ने सीएनएन से कहा कि पेप्सिको भारत की सबसे बड़ी प्रोसेस ग्रेड आलू की खरीदार है और यह उन पहली कंपनियों में से एक है जो आलू की विशेष संरक्षित किस्म को स्वयं के लिए उगाने हेतु हजारों स्थानीय किसानों के साथ काम कर रही है। इस मामले में हमनें उन लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की है, जो अवैध तरीके से हमारी संरक्षित किस्म का उपयोग कर रहे हैं।
किसान संगठन और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भारत सरकार से आगे आकर पेप्सिको के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। सरकार को लिखे पत्र में संगठन व कार्यकर्ताओं ने कहा है कि भारतीय कृषि कानून के तहत संरक्षित फसल को उगाना और उसे बेचना किसानों का अधिकार है।
पत्र में कहा गया है कि किसानों को डराना और कानूनी प्रताड़ना इसलिए हो रही है, क्योकि किसानों को अपने अधिकारों की पूरी जानकारी नहीं है। पत्र में यह भी कहा गया है कि पेप्सिको ने तथाकथित आरोपी किसानों के पास प्राइवेट जासूसों को संभावित ग्राहक बनाकर भेजा, चुपचाप उनके वीडियो बनाए और आलू के सैम्पल हासिल किए।
किसानों की तरफ से बचाव करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता कपिल शाह ने कहा कि पेप्सिको की यह कार्रवाई खाद्य संप्रभुता और राष्ट्र की संप्रभुता के खिलाफ है। शाह ने कहा कि सामने कितनी भी बड़ी कंपनी हो, हम लड़ाई लड़ेंगे।
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