नई दिल्ली। स्नैपडील के समर्थन वाली पैपरटैप ने अपने नकदी संकट से जूझ रहे किराना की आपूर्ति के परिचालन को बंद कर दिया है। अब वह लॉजिस्टिक्स कारोबार पर ध्यान केंद्रित कर रही है। परिचालन बंद करने के फैसले से 150 नौकरियों का नुकसान होगा। कंपनी ने कहा, हमारे पास 200 लोग है। इनमें से 50 को लॉजिस्टिक्स कारोबार में जोड़ा जाएगा। शेष को हमें जाने देना होगा।
ऊंची लागत और खराब एप इंटीग्रेशन वजह
पैपरटैप के मुख्य कार्यकारी नवनीत सिंह ने ग्राहकों के अधिग्रहण की ऊंची लागत और भागीदार स्टोरों के साथ खराब एप एकीकरण जैसे मुद्दों का हवाला देते हुए कहा कि कंपनी को प्रत्येक ऑर्डर पर नकदी का नुकसान हो रहा था। नूवो लॉजिस्टिक्स के नियंत्रण के तहत आने वाली पैपरटैप ने अभी तक 4 करोड़ डॉलर जुटाए हैं। कंपनी का कहना है कि ई-कॉमर्स क्षेत्र की स्नैपडील, सिकोया इंडिया, सैफ पार्टनर्स, र-नेट, बीनेक्स्ट और जैफको एशिया उसके निवेशकों में है। इस बारे में संपर्क करने पर स्नैपडील के प्रवक्ता ने किसी टिप्पणी से इनकार किया।
6-8 महीने में करीब 2,000 लोगों ने गंवाई नौकरी
बीते आठ महीनों में देश के प्रमुख स्टार्टअप्स ने करीब 2,000 लोगों को नौकरी से निकाल दिया है। स्नैपडील, फूड पांडा, जोमाटो और हाउसिंग.कॉम ये तमाम उन कंपनियों के नाम हैं, जो बीते साल तेजी से बढ़ती वैल्यूएशन और मिलती फंडिंग की वजह से सुर्खियों में रही। लेकिन अब ये लोगों की नौकरी छीनने को लेकर चर्चा में हैं। वजह भारी डिस्काउंट पर तेजी से बढ़ती सेल्स से घाटे का लगातार बढ़ता बोझ है। इसे कम करने के लिए कंपनियां कॉस्ट कटिंग का रास्ता अपना रही हैं। पिछले छह से आठ महीने के दौरान भारत में सबसे हाई प्रोफाइल स्टार्टअप ने करीब 2,000 लोगों को नौकरी से निकाला है। वहीं, एनालिस्टों का मानना है कि स्टार्टअप में यह दौर 2016 में भी जारी रहने वाला है। इंडस्ट्री बॉडी नेस्कॉम के मुताबिक 80,000-85,000 प्रोफेशनल्स भारतीय स्टार्टअप्स में काम कर रहे हैं।
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