मुंबई। ऐसा लगता है कि रिटेल लोन लेने वाले ज्यादा लोग अपने कर्ज जरूरतों को पूरा करने के लिए प्राइवेट बैंकों की ओर रुख कर रहे हैं। ICICI सिक्योरिटीज की एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे प्राइवेट बैंकों की इस सेक्टर में बाजार हिस्सेदारी बढ़कर 43 फीसदी हो गई है, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हिस्सेदारी कम हो रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक नई पीढ़ी के प्राइवेट बैंकों में रिटेल लोन वृद्धि में तेजी देखी गई और उनकी इस मामले में बाजार हिस्सेदारी 2015-16 में 43 फीसदी रही, जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 39 फीसदी थी। रिटेल लोन के मामले में 2015-16 में कोटक बैंक, एचडीएफसी बैंक, डीसीबी बैंक, इंडसइंड बैंक तथा यस बैंक में उच्च वृद्धि रही है। वहीं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की रिटेल लोन मामले में हिस्सेदारी पिछले वित्त वर्ष में घटकर 55 फीसदी पर आ गई, जो 2014-15 में 58 फीसदी थी। रिटेल लोन के मामले में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में केनरा बैंक, विजया बैंक, आंध्र बैंक तथा भारतीय स्टेट बैंक में सर्वाधिक वृद्धि देखी गई।
रिपोर्ट के अनुसार बैंक ऑफ बड़ौदा एकमात्र बैंक हैं जिसकी रिटेल लोन वृद्धि में सालाना आधार पर कमी आई है। रिपोर्ट में 2015-16 के लिए 29 सूचीबद्ध बैंकों के ऋण का विश्लेषण किया गया। इन बैंकों की ऋण बाजार में करीब 90 फीसदी हिस्सेदारी है और कुल बाजार पूंजीकरण 180 अरब डॉलर है। सेक्टरवाइज देखा जाए तो वर्ष 2015-16 में कुल रिटेल लोन में होम लोन की हिस्सेदारी 40 फीसदी रही, जो पिछले वित्त वर्ष के बराबर है। होम लोन श्रेणी में प्राइवेट बैंकों की हिस्सेदारी 34 फीसदी से बढ़कर 35 फीसदी हो गई, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मामले में यह सालाना आधार पर कम हुई है।
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