कृषि क्षेत्र में लगे लोगों को पूरा काम नहीं मिलता: जेटली
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि देश के सकल घरेलू उत्पाद में करीब 16 फीसदी योगदान देने वाला कृषि क्षेत्र में बड़े पैमाने पर प्रच्छन्न बेरोजगारी है।
हैदराबाद। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि देश के सकल घरेलू उत्पाद में करीब 16 फीसदी योगदान देने वाला कृषि क्षेत्र में बड़े पैमाने पर प्रच्छन्न बेरोजगारी है। जेटली ने कहा कि कुछ विकसित देशों में आबादी कम हो रही है और यह प्रवृत्ति भारतीय युवाओं के लिए अवसर उपलब्ध करा सकती है, बशर्ते वे प्रशिक्षित हों। उन्होंने कहा, भारत में कृषि से बमुश्किल किसानों का गुजारा होता है। वास्तव में लोगों को उनकी क्षमता के हिसाब से काम नहीं है। हम यह सहन नहीं कर सकते कि देश की 55 फीसदी आबादी कृषि में लगी हो जबकि जीडीपी में योगदान केवल 16 फीसदी हो।
जेटली ने कहा, विनिर्माण के संदर्भ में हमारी आकांक्षा है कि इसका हमारी अर्थव्यवस्था में 25 फीसदी योगदान हो। और इसीलिए जब पहली औद्योगिक क्रांति हुई हम अवसर गंवाये, जब दूसरी और तीसरी औद्योगिक क्रांति हुई, हमने अवसर गंवाया, यह कम लागत का विनिर्माण था। वित्त मंत्री के अनुसार चीन तथा अन्य एशियाई अर्थव्यवस्थाएं भारत की तुलना में अधिक लाभान्वित हुई हैं। अब ऐसा लगता है कि वहां चौथी औद्योगिकी क्रांति भारत के लिये है। उम्मीद है कि हम लाभान्वित हो सकते हैं, लेकिन हम आश्वस्त नहीं हैं। उन्होंने कहा, वास्तविकता यह है कि हम सेवा आधारित अर्थव्यवस्था है और सेवा क्षेत्र का योगदान राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में करीब 60 फीसदी है।
निजी क्षेत्र द्वारा उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के बारे में उन्होंने कहा कि 20-25 साल पहले यह कल्पना से परे था। जेटली ने कहा कि देश की आबादी को प्रशिक्षण मिले और मानव संसाधन के रूप में तैयार किया जाए तो भारत को लाभ हो सकता है। उन्होंने कहा, हम दुनिया की बड़ी आबादी में से एक हैं। एक जो महत्वपूर्ण बदलाव आ रहा है, वह यह कि अधिकतर विकसित देशों में आबादी कम हो रही है। उनके लोग उम्रदराज हो रहे हैं, जो एक समस्या है। उनके पास अपनी व्यवस्था के प्रबंधन के लिए ही पर्याप्त संख्या में लोग नहीं हैं। जेटली ने कहा, इस बड़ी आबादी का क्या करना है? निश्चित रूप से शिक्षा मानव संसाधन सृजित करने में अहम भूमिका निभाती है। मानव संसाधन न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए उपयोगी है।
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