नई दिल्ली। खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि राज्य सरकारों को राशन की दुकानों (पीडीएस) पर यह दर्शाना चाहिए कि खाद्यान्न पर केंद्र और राज्यों द्वारा कितनी-कितनी सब्सिडी दी जा रही है। यह जानकारी सार्वजनिक होने के बाद गरीबों को सस्ती दरों पर अनाज उपलब्ध कराने में किसका कितना योगदान है उसके बारे में तस्वीर स्पष्ट हो जाएगी। अकेले राज्य इसका श्रेय नहीं ले पाएंगे। खाद्य सुरक्षा कानून के तहत राशन की दुकानों पर गेहूं और चावल क्रमश: दो और तीन रुपए प्रति किलोग्राम की रियायती (सब्सिडी) दर पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
पासवान ने कहा, यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि ज्यादातर राज्य सस्ती राशन उपलब्ध कराने का श्रेय खुद ले रहे हैं जबकि पूरी खाद्यान्न सब्सिडी का बोझ केंद्र सरकार द्वारा उठाया जा रहा है। अतएव हमने राज्यों से पीडीएस दुकानों पर सब्सिडी का ब्योरा प्रदर्शित करने को कहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र गेहूं पर प्रति किलो 22 रुपए और चावल पर प्रतिकिलो 29.64 रुपए की सब्सिडी वहन करता है।
तमिलनाडु जैसे एक या दो राज्यों को छोड़कर शेष कोई भी राज्य इस पर अपनी जेब से एक पैसा भी खर्च नहीं कर रहे हैं। तमिलनाडु राशन खाद्यान्न पर कुछ और सब्सिडी अपनी तरफ से देता है इसे निशुल्क उपलब्ध करा रहा है। पासवान ने कहा कि राज्यों को लोगों की जागरूकता के लिए राशन की दुकानों पर बोर्ड पर स्पष्ट रूप से खाद्यान्न पर दी जाने वाली सब्सिडी के बारे में बताना चाहिए।
पासवान ने कहा, इस मुद्दे पर और जागरूकता की जरूरत है क्योंकि उदाहरण के लिए बिहार में गरीब सोचते हैं कि नीतीश कुमार 2-3 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से खाद्यान्न दे रहे हैं। लोगों को पता ही नहीं है कि केंद्र सरकार की ओर से यह उपलब्ध कराया जा रहा है। केंद्र सरकार का वार्षिक खाद्यान्न सब्सिडी बिल एक लाख करोड़ रुपए से अधिक का है।
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