नई दिल्ली। अगर आप भी हवाई टिकट के महंगे कैंसिलेशन से परेशान हैं तो आपको जल्द राहत मिल सकती है। डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) जल्द ही एयरलाइंस कंपनियों से कैंसिलेशन चार्ज को लेकर बात करने जा रहा है। एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन ने एयरलाइंस से कहा है कि कैंसलेशन चार्ज बेस फेयर से ज्यादा नहीं होना चाहिए। विमानन मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां कैंसलेशन फीस कुल किराए से ज्यादा हो जाती है और टिकट रद्द होने पर पैसेंजर्स को कुछ नहीं मिलता है। या फिर कई बार पैसेंजर के हाथ 10 फीसदी किराया भी नहीं लग पाता।
किराए में जुड़े होते हैं कई चार्ज
यात्रियों को टिकट कैंसिल करवाने पर खास रिटर्न नहीं मिल पाता, इसके पीछे कारण यह है कि पैसेंजर जो किराया देते हैं, उसमें सर्विस टैक्स और एयरपोर्ट से जुड़े चार्जेज भी शामिल होते हैं। टिकट कैंसल होने पर अगर इन्हें नहीं लौटाया जाता है तो इससे कानूनी मुद्दे खड़े हो सकते हैं। इस संबंध में डीजीसीए नए नियमों पर पहले ही एयरलाइंस के साथ बात कर चुका है। इस बारे में जल्द ऐलान किया जाएगा। कई बार यह भी पाया गया कि कैंसलेशन फीस का एक हिस्सा ऑनलाइन ट्रैवल एजेंसियों को भी जाता है, बशर्ते टिकट की बुकिंग उनकी तरफ से हुई हो।
तस्वीरों में देखिए एयर इंडिया का मैन्यू
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बेस फेयर तक ही हो कैंसिलेशन
एयरलाइंस से कहा गया है कि एजेंट की फीस समेत कैंसलेशन फीस बेस फेयर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। कैंसलेशन फीस को बेस फेयर तक सीमित करने से यात्रियों को राहत मिलेगी। एविएशन इंडस्ट्री के जानकारों के मुताबिक, एयरलाइन कंपनियां किराया नहीं बढ़ा सकतीं। ऐसे में अधिक रेवेन्यू के लिए वे कैंसलेशन चार्ज में बढ़ोतरी जैसे उपायों का सहारा लेती हैं।
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