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बंदरगाहों की 1.10 लाख हेक्टेयर जमीन के एक हिस्से पर लगाए जाएंगे उद्योग

देश के 12 प्रमुख बंदरगाहों की जमीन पर उद्योग लगाने की योजना

<p class="MsoNormal" style="background: white;"><span...- India TV Paisa Image Source : GOOGLE government to develop land with port for industries

नई दिल्ली। सरकार बंदरगाहों के जरिये विकास को आगे बढ़ाने की तैयारी कर रही है। केंद्रीय पोत परिवहन मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा है कि देश के 12 प्रमुख बंदरगाहों के पास उपलब्ध 1.10 लाख हेक्टेयर जमीन के एक हिस्से का इस्तेमाल उद्योगों के विकास के लिए किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके अलावा माल ढुलाई को भी प्रोत्साहन देने की योजना है। मंडाविया ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘देश के प्रमुख बंदरगाहों के पास कुल मिलाकर 1,10,000 हेक्टेयर जमीन है। इसके एक हिस्से का इस्तेमाल देश में बंदरगाह की अगुवाई में उद्योगों के विकास और औद्योगिकरण के लिए किया जा सकता है। हम बंदरगाह से संबंधित उद्योगों को चिह्नित कर रहे हैं। देश के 12 प्रमुख बंदरगाह.

.कांडला, मुंबई, जेएनपीटी, मोरमुगाओ, न्यू मेंगलूर, कोचिन, चेन्नई, कामराजार (एन्नोर), वी ओ चिदंबरनार, विशाखापत्तनम, पारादीप और कोलकाता (हल्दिया सहित) हैं। देश की कुल माल ढुलाई में इन बंदरगाहों का हिस्सा 61 प्रतिशत है।

मंडाविया ने कहा कि अभी तक इस जमीन का इस्तेमाल किराया जुटाने के लिए हो रहा है। मंत्री ने कहा, ‘‘जमीन का इस्तेमाल किराये के लिए हो रहा है, लेकिन पैसा कमाना मेरा काम नहीं है। मेरा काम रोजगार पैदा करना, कार्गो बढ़ाना और देश में उत्पादन बढ़ाना है।’’’ प्रमुख बंदरगाहों की जमीन का एक बड़ा हिस्सा केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों को लीज या पट्टे पर दिया गया है। पोत परिवहन मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार लीज किराया नहीं चुकाने के मामलों में ब्याज और दंडात्मक ब्याज लगाया जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि समय के साथ ब्याज और दंडात्मक ब्याज में उल्लेखनीय इजाफा हो गया है जिसकी वजह से लीज किराये का निपटान करने में दिक्कत आ रही है। प्रमुख बंदरगाहों की इस बड़ी लंबित राशि की वसूली के लिए पोत परिवहन मंत्रालय ने ‘एकमुश्त निपटान योजना’ जारी की है।

मंडाविया ने आर्थिक वृद्धि के लिए बंदरगाह क्षेत्र के विकास को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि बंदरगाहों के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इसमें उनकी क्षमता का विस्तार भी शामिल है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी तटरेखा 7,500 किलोमीटर है। इसका इस्तेमाल आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन देने और रोजगार सृजन के लिए किया जा सकता है।’’

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