नई दिल्ली। संसद की एक समिति ने सरकार से ऐसे उपाय करने को कहा है जिससे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए जहां तक संभव हो अधिक से अधिक इंटरनेट सर्वर देश में ही स्थापित हों। समिति ने कहा कि देश के बाहर वेबसाइट-सर्वर लगाने की मुख्य वजह लागत बचाना, जवाबी कार्रवाई और कानूनी चिंताएं आदि हैं। समिति ने मिनिस्ट्री ऑफ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी को सुझाव दिया है कि वह अधिक से अधिक सर्वर देश में ही लगाए।
आयातित इलेक्ट्रानिक्स समानों पर निर्भरता से नाखुश समिति
सूचना प्रौद्योगिकी पर स्थाई समिति की रिपोर्ट में कहा गया है, समिति इस बात को देखकर नाखुश है कि देश ज्यादातर आयातित इलेक्ट्रानिक्स समानों पर निर्भर करता है। वहीं, ज्यादातर वेबसाइट आज भी भारत से बाहर के सर्वर पर ही लगाए जा रहे हैं। इसमें कहा गया है कि सरकार ने अड़चनों से निपटने के लिए रणनीतियां अपनाई हैं और केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारों के लिए ईमेल नीति व डाटा स्टोरेज नीति बनाई है। पर साथ में कहा है, समिति ने इस बात पर बल दिया है कि जबकि इन पहलुओं पर ध्यान दिया जा चुका है, सरकार को जहां तक संभव हो सके, ऐसे उपाय करने चाहिए कि महत्वपूर्ण क्षेत्रों के इंटरनेट सर्वर देश में ही स्थापित हों।
देश में सिर्फ एक साइबर अपीलेट ट्रिब्यूनल
रिपोर्ट में सभी आयातित इलेक्ट्रानिक, सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार उत्पादों के अनिवार्य प्रमाणन की व्यवस्था किये जाने तथा सभी राज्यों, केंद्र शासित क्षेत्रों और खास कर हवाई अड्डों, बंदरगाहों और अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर प्रमाणन केंद्र की सिफारिश की है। समिति ने इस बात पर चिंता जताई है कि देश में अब तक केवल एक साइबर अपीलीय न्यायाधिकरण स्थापित करने का काम चल रहा है जबकि अधिनियम में देश के अन्य भागों में भी इसी शाखाएं स्थापित करने का प्रावधान है।
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