नई दिल्ली। संसद की एक समिति ने श्रम मंत्रालय से प्राइवेट PF ट्रस्ट्स की विशेष जांच या ऑडिट करने को कहा है। ऐसा पाया गया है कि ये ट्रस्ट अपने कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की राशि अपनी कंपनियों में म्यूचुअल फंडों के जरिए निवेश कर रहे हैं।
EPFO द्वारा नियमित प्राइवेट ट्रस्ट PF खातों और सेवानिवृत्ति बचत का रख-रखाव करते हैं और उन्हें सरकार द्वारा मंजूर निवेश प्रारूप के तहत इस फंड का निवेश करना होता है।
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ये ट्रस्ट छूट प्राप्त प्रतिष्ठान कहे जाते हैं क्योंकि वे अपने कर्मचारियों के योगदान को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के पास जमा नहीं करते। श्रम पर संसद की स्थायी समिति ने संसद में 7 अप्रैल को पेश अपनी रिपोर्ट में कहा कि अपने कारोबार में निवेश अनुचित है और अपने हित में इसका उपयोग किया जा रहा है।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि,
ऐसी कंपनियों की विशेष जांच या ऑडिट किए जाने की जरूरत है और EPFO को इस रास्ते निवेश पर अंकुश लगाने के लिए जल्दी कदम उठाने चाहिए और सुधारात्मक उपाय करने चाहिए।
रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि इन निजी EPF ट्रस्ट को जो छूट दी गई है, निश्चित अवधि के बाद उसकी समीक्षा होनी चाहिए ताकि EPFO इन कंपनियों की वास्तविक वित्तीय स्थिति से अवगत हो। इससे कर्मचारियों के हितों के संरक्षण में मदद मिलेगी।
संसदीय समिति के अनुसार, इन ट्रस्टों के डीमैट खातों की भी अनिवार्य जांच होनी चाहिए ताकि निवेश प्रारूप के साथ रिटर्न का सत्यापन हो सके।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 दिसंबर, 2016 तक इन ट्रस्टों के पास कुल फंड 2.57 लाख करोड़ रुपए था। इसमें 5,475 करोड़ रुपए बिना दावे वाली राशि शामिल है।
समिति ने योजना में उपयुक्त संशोधन करने को कहा है ताकि न केवल PF फंड के सालाना बही-खाते में उस कर्मचारी का नाम हो जिसकी राशि बिना दावे के पड़ी है बल्कि एक निश्चित समयसीमा के बाद राशि EPFO के पास स्थानांरित हो सके।
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