नई दिल्ली। मोदी सरकार दशकों पुरानी परंपरा को बदलकर देश को आगे ले जाने के काम में जुटी है। रेल बजट को आम बजट में मिलाना, बजट पेश करने की तारीख एक महीना पहले करना, पुराने बेकार हो चुके कानूनों को समाप्त करना जैसे कुछ बड़े कदम सरकार ने उठाए हैं। इसी क्रम में अब सरकार वित्त वर्ष का समय बदलने पर विचार कर रही है। इसके लिए संसद की एक समिति ने देश में वित्त वर्ष का समय बदलकर जनवरी-दिसंबर करने का सुझाव दिया है।
समिति ने कहा है कि अप्रैल से मार्च के वित्त वर्ष की अंग्रेजों द्वारा शुरू की गई दशकों पुरानी परपंरा समाप्त कर दी जानी चाहिए।
- वित्त वर्ष की मौजूदा व्यवस्था भारत सरकार ने 1867 में अपनाई थी।
- इसका मुख्य उद्देश्य भारत के वित्त वर्ष को ब्रिटेन सरकार के वित्त वर्ष के साथ मिलाना था।
- 1867 से पहले भारत में वित्त वर्ष एक मई से शुरू होता था और अगले वर्ष 30 अप्रैल को समाप्त होता था।
- कांग्रेस सांसद एम वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली वित्त मंत्रालय से जुड़ी संसदीय समिति ने बजट पेश करने की तिथि पहले खिसकाने के मामले में जल्दबाजी को लेकर वित्त मंत्रालय की आलोचना की।
- समिति ने कहा कि बजट एक महीना पहले पेश किए जाने से पहले अच्छी तैयारी और पर्याप्त जमीनी कार्य किए जाने चाहिए थे।
- रिपोर्ट के अनुसार, समिति उम्मीद करती है कि सरकार अगले साल से अच्छी तैयारी करेगी।
- इस संदर्भ में बाधा को ध्यान में रखते हुए समिति यह सुझाव देगी कि वित्त वर्ष को भी उसी हिसाब से बदलकर कैलेंडर वर्ष कर दिया जाए।
- उल्लेखनीय है कि सरकार ने बजट संबंधित विधायी कार्य 31 मार्च तक पूरा करने के लिए उसे एक महीना पहले पेश करने का फैसला किया, ताकि संबंधित मंत्रालय वित्त वर्ष शुरू होने के साथ ही आबंटित धन खर्च करना शुरू कर सकें।
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