नई दिल्ली। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) पर 97,115 करोड़ रुपये के भारी-भरकम ऋण चुकाने के दायित्व को लेकर नाराजगी व्यक्त करते हुए एक संसदीय समिति ने एनएचएआई के अधिकारियों से मौजूदा ऋण के पुनर्गठन की संभावना तलाशने तथा दीर्घावधि का कोष जुटाने के विकल्पों की तलाश करने को कहा है। परिवहन, पर्यटन और संस्कृति विभाग-संबंधी संसद की स्थायी समिति ने मंगलवार को संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में एनएचएआई से अपनी विलंबित सड़क परियोजनाओं की प्राथमिकता तय करने के लिए कहा। टीजी वेंकटेश की अध्यक्षता वाली 31 सदस्यीय समिति ने वर्ष 2021-22 के लिए 38,997 करोड़ रुपये, वर्ष 2022-23 के लिए 28,800 करोड़ रुपये और वर्ष 2023-24 के लिए 29,318 करोड़ रुपये के ऋण दायित्व के बारे में उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘समिति आगामी वर्षों में एनएचएआई के विशाल ऋण दायित्व को लेकर खुश नहीं है।’’
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘समिति सिफारिश करती है कि एनएचएआई इस तरह की परियोजनाओं की लागत में आगे और वृद्धि को रोकने के लिए अपने लंबित सड़क परियोजनाओं को पूरा करने को प्राथमिकता दे।’’ समिति ने एनएचएआई को अपने मौजूदा ऋण के पुनर्गठन की संभावना तलाशने को कहा है।’’ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी, 2021 को बजट पेश करते हुए विकास वित्तीय संस्थान (डीएफआई) के लिए 20,000 करोड़ रुपये का प्रावधान करने की घोषणा की थी।
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