नई दिल्ली। सरकार उस कमेटी की रिपोर्ट का परीक्षण कर रही है, जिसमें वित्त वर्ष एक अप्रैल के बजाये 1 जनवरी से शुरू करने का सुझाव दिया गया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यह बात शुक्रवार को कही।
लोक सभा में एक सवाल का उत्तर देते हुए जेटली ने कहा कि इस स्तर पर कमेटी की सिफारिशों को सार्वजनिक करना और इस पर सरकार का विचार अनुचित होगा क्योंकि यह मुद्दा पूर्व-न्यायिक निर्णय का हो सकता है। कमेटी ने वित्त वर्ष को कैलेंडर वर्ष एक जनवरी से ही करने की सिफारिश की है।
प्रश्न काल के दौरान पूरक के जवाब में उन्होंने कहा कि चूंकि इस कदम में केंद्र, राज्यों और बहुत से स्थानीय निकायों का निहितार्थ है, ऐसे में किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले विस्तृत चर्चा की आवश्यकता है। वित्त मंत्री ने कहा कि वित्त वर्ष की भारतीय प्रणाली ब्रिटिश द्वारा निर्धारित परंपरा पर आधारित है।
उन्होंने आगे कहा कि कुछ देशों में नए वित्त वर्ष की शुरुआत जनवरी में और कुछ में जून से होती है, जो कि स्थानीय जरूरतों पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि इस साल बजट पेश करने की तारीख को एक महीना पहले 1 फरवरी को कर सरकार ने बजट प्रणाली में सुधार की ओर कदम बढ़ाया है। वित्त विधेयक जल्दी पारित होने से सरकार को विभिन्न मंत्रालय और राज्यों को धन का आवंटन वित्त वर्ष की शुरुआत से ही करने में मदद मिली है।
लोक सभा द्वारा 22 मार्च को वित्त विधेयक पारित किए जाने के साथ ही वित्त वर्ष 2017-18 के लिए बजट प्रक्रिया पूरी हो गई थी। इसके बाद राज्य सभा ने इसमें कुछ संशोधन कर इसे पारित किया, जिन्हें लोक सभा ने अस्वीकार कर दिया।
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