पाकिस्तान को तालिबान की मदद करने की मिल रही है सजा, पाक रुपया पहुंचा रिकॉर्ड निचले स्तर पर
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के तहत चीनी विकास वित्तपोषण के एक बड़े हिस्से में ऐसे ऋण शामिल हैं, जो अनुदान के विपरीत, वाणिज्यिक दरों पर या उसके करीब हैं।
नई दिल्ली। पाकिस्तान का शेयर बाजार लगातार गिरावट के दौर में है और यहां की मुद्रा अपने रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई है। इसका प्रमुख कारण अमेरिकी संसद में पेश अफगान तालिबान पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाला वह बिल है, जिसे पाकिस्तान पर भी लागू किया जा सकता है। इस वजह से निवेशकों में भय व्याप्त है और वे पैसा निकालने में लगे हैं।
बिकवाली के दबाव में बुधवार को केएसई-।00 908 अंक गिरकर 44,366.74 अंक पर बंद हुआ। पाकिस्तानी रुपया भी अपने सर्वकालिक निम्न स्तर 170.27 प्रति डॉलर पर पहुंच गया। इंटरनेशनल सिक्यूरिटीज के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रजा जाफरी ने कहा कि यूएस सीनेट में प्रस्तुत किए गए बिल को 22 सांसदों का समर्थन प्राप्त है। इस बिल में अफगान तालिबान के संबंध में पाकिस्तान की भूमिका की जांच करने की मांग की गई है। जाफरी ने कहा कि बिल में अफगानिस्तान में पाकिस्तान की पिछले 20 साल की गतिविधियों की जांच की मांग की गई है, जिसकी वजह से आज वहां यह हालात बने हैं।
जाफरी ने कहा कि यदि जांच में कुछ भी पाया जाता है तो अमेरिका की योजना पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगाने की होगी। जो एक धब्बा होगा और इससे देश की स्थिति और बिगड़ेगी। हालांकि जाफरी ने कहा कि यह अभी शुरुआती स्तर पर है और बिल के पास होने की संभावना बहुत कम है।
पाकिस्तान को अनुदान नहीं, बल्कि वाणिज्यिक दरों पर कर्ज देता है चीन
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के तहत चीनी विकास वित्तपोषण के एक बड़े हिस्से में ऐसे ऋण शामिल हैं, जो अनुदान के विपरीत, वाणिज्यिक दरों पर या उसके करीब हैं। पाकिस्तानी अखबार डॉन ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि अमेरिका स्थित अंतरराष्ट्रीय विकास अनुसंधान प्रयोगशाला, एडडाटा ने यह दावा किया है।
अगर सरल शब्दों में कहें तो रिपोर्ट के अनुसार, चीन का वित्त पोषण पाकिस्तान के लिए कोई अनुदान या राहत के तौर पर दी गई राशि नहीं होती है, बल्कि यह शुद्ध रूप से वाणिज्यिक दरों या उसके आसपास की दरों पर दी गई राशि होती है।चीन ने 2000 और 2017 के बीच पाकिस्तान को विकास के लिए 34.4 अरब डॉलर देने की प्रतिबद्धता को दर्शाया। इस्लामाबाद 27.3 अरब डॉलर की 71 परियोजनाओं के साथ चीनी विदेशी विकास वित्तपोषण का सातवां सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता है। यह कहा गया है कि 13.2 साल की अवधि (जब ब्याज के साथ पूर्ण पुनर्भुगतान देय है) और 4.3 साल की छूट अवधि (ग्रेस पीरियड) के साथ औसत ऋण के लिए ब्याज दर 3.76 प्रतिशत है।
इसके अलावा, रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तान को 'निर्यात खरीदार के क्रेडिट' के रूप में सभी चीनी विकास वित्त का लगभग आधा प्राप्त हुआ। यह चीनी कार्यान्वयन भागीदारों द्वारा खरीदे जाने वाले उपकरणों और सामानों की खरीद की सुविधा के लिए चीनी संस्थानों द्वारा पाकिस्तान को दिया गया पैसा है।चीन द्वारा पाकिस्तान को दिए जाने वाले कर्ज का 40 फीसदी हिस्सा अब सरकारी कंपनियों, सरकारी बैंकों, स्पेशल पर्पस व्हीकल, ज्वाइंट वेंचर और निजी क्षेत्र के संस्थानों को दिया जाता है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इन चीनी ऋण से संबंधित सरकार के रिकॉर्ड में 'अधिकांश भाग' दिखाई नहीं देते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, वे अक्सर सरकारी देयता संरक्षण के एक स्पष्ट या निहित रूप से लाभान्वित होते हैं, जो निजी और सार्वजनिक ऋण के बीच अंतर को धुंधला करता है। यह देखते हुए कि सरकार ने कुछ मामलों में संप्रभु गारंटी जारी की है। इसका मतलब यह है कि यदि गैर-सरकारी उधारकर्ता अपने वित्तीय दायित्वों को पूरा करने के लिए पर्याप्त राजस्व उत्पन्न करने में विफल रहते हैं, तो राष्ट्रीय राजकोष ऋण चुकाएगा। रिपोर्ट के अनुसार अन्य मामलों में सरकार ने उधारकर्ताओं को इक्विटी पर एक तथाकथित गारंटीकृत रिटर्न प्रदान किया है। इस प्रकार की गारंटी प्रभावी रूप से चीन के लिए छिपे हुए ऋण का एक रूप है। ये वित्तीय व्यवस्था सरकार के लिए आकर्षक हैं, क्योंकि इन्हें सार्वजनिक ऋण के रूप में प्रकट करने की आवश्यकता नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 92.8 प्रतिशत के सार्वजनिक ऋण-से-जीडीपी अनुपात के आधार पर अर्थव्यवस्था पहले से ही डेंजर जोन यानी खतरे में है।
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