इस्लामाबाद। पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के चालू वित्त वर्ष में पिछले एक दशक की सबसे तेज वृद्धि के आंकड़े को पार कर लेने के बावजूद छह प्रतिशत के तय लक्ष्य से कम रहने का अनुमान है। पाकिस्तान अर्थव्यवस्था में पिछले वित्त वर्ष में 5.3 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी। पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) ने आज यह बात कही।
बैंक का कहना है कि चालू वित्त वर्ष के शेष तीन महीनों में अर्थव्यवस्था के समक्ष जोखिम बना रहेगा। चालू खाते का घाटा बढ़ने का खतरा उसके समक्ष बना हुआ है। कच्चे तेल के महंगे आयात, विदेशी कर्ज भुगतान की परिपक्वता अवधि नजदीक होने और विदेशों से कर्मचारियों द्वारा स्वदेश भेजी जाने वाली विदेशी मुद्रा में कमी आने से यह जोखिम बढ़ सकता है।
पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक बैंक ने दूसरी तिमाही की आर्थिक वृद्धि रिपोर्ट जारी करते हुए चेताया है कि गेहूं उत्पादन में कमी और गन्ने की पेराई देर से शुरू होने के कारण आर्थिक वृद्धि दर 6 प्रतिशत के तय लक्ष्य से कम रह सकती है।
एसबीपी ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की स्थिति पर वित्त वर्ष 2018 की दूसरी तिमाही रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पिछले साल की वृद्धि दर (5.3 प्रतिशत) को पार करते हुए मजबूत होती दिखाई दे रही है, वित्त वर्ष 2018 में जीडीपी वृद्धि 6 प्रतिशत से कुछ कम रह सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राजकोषीय घाटे से देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ता रहेगा। इस स्थिति के चलते आर्थिक प्रबंधकों को अल्पकालिक अंतरराष्ट्रीय उधार लेने में व्यस्त रहना पड़ सकता है।
देश का विदेशी मुद्रा भंडार तीन माह से भी कम समय के आयात बिल के बराबर रह गया है। केंद्रीय बैंक के मुताबिक मुद्रास्फीति दर 4.5 से 5.5 प्रतिशत के दायरे में रह सकती है, जबकि लक्ष्य छह प्रतिशत का है। खाद्य वस्तुओं के दाम नीचे रहने से यह संभव हुआ है। आयात बिल 48.8 अरब डॉलर से बढ़कर 54.3 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है, जबकि निर्यात कारोबार 23.1 अरब डॉलर के लक्ष्य से आगे निकलकर 24.6 अरब डॉलर रह सकता है।
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