पाकिस्तान में रमजान की मिठास बढ़ा सकता है भारत, यदि इमरान सरकार दे व्यापार की इजाजत
भारत से चीनी और कपास के आयात की अनुमति देने के पाकिस्तान ईसीसी के फैसले को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने रोक दिया।
नई दिल्ली। भारत के चीनी उ्दयोग के एक संगठन का कहना है कि यदि पाकिस्तान, भारत के साथ व्यापार शुरू करने की इजाजत देता है तो उसे सस्ती चीनी मिल सकती है और आगामी रमजान के महीने से पहले वहां कीमतों पर काबू पाया जा सकता है। भारत से आयात करने पर पाकिस्तान को जल्दी चीनी मिल सकती है। वर्तमान में पाकिस्तान चीनी की भारी कमी से जूझ रहा है। पाकिस्तान में उत्पादन में कमी के चलते चीनी की खुदरा कीमत 100 रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ गई है।
पाकिस्तान आर्थिक समन्वय समिति (ईसीसी) ने सरकार से उपलब्धता बढ़ाने के लिए पांच लाख टन सफेद चीनी के आयात की अनुमति देने की सिफारिश की है। पिछले हफ्ते, दोनों देशों के बीच व्यापार फिर से खुलने की उम्मीद जगी थी। हालांकि, भारत से चीनी और कपास के आयात की अनुमति देने के पाकिस्तान ईसीसी के फैसले को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने रोक दिया।
मांग के मुकाबले चीनी उत्पादन है कम
पाकिस्तानी व्यापारियों के अनुसार पड़ोसी देश में 2020-21 के विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) में 56 लाख टन चीनी उत्पादन की उम्मीद है, जबकि मांग के मुकाबले पांच लाख टन की कमी हो सकती है। अखिल भारतीय चीनी व्यापारी संघ (एआईएसटीए) के अध्यक्ष प्रफुल्ल विठलानी ने कहा कि भारत, पाकिस्तान की चीनी की कमी को आसानी से पूरा कर सकता है। उन्होंने कहा, कि यदि व्यापार फिर से शुरू हुआ तो इसमें दोनों देशों का फायदा है। मैं कहना चाहता हूं कि मानव उपभोग की आवश्यक वस्तुओं को राजनीति से दूर रखना चाहिए।
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398 डॉलर प्रति टन पर चीनी आपूर्ति संभव
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में पंजाब के रास्ते सड़क मार्ग से सफेद चीनी 398 डॉलर प्रति टन की दर से (भाड़ा सहित) पहुंचाई जा सकती है। यह दर समुद्र मार्ग से दूसरे देशों से आने वाली चीनी के मुकाबले 25 डॉलर प्रति टन सस्ती है। उन्होंने कहा कि ब्राजील से पाकिस्तान तक चीनी पहुंचाने में 45-60 दिनों का समय लगता है, जबकि भारत से चार दिनों में वहां चीनी पहुंचाई जा सकती है।
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दोनों देशों को होगा फायदा
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के डायरेक्टर जनरल अबिनाश वर्मा का कहना है कि यदि दोनों देशों के बीच व्यापार शुरू होता है तो ये दोनों के लिए फायदेमंद होगा। हम पाकिस्तान को चीनी की कमी दूर करने में मदद कर सकते हैं। वहीं दूसरी ओर, भारत को अपना सरप्लस स्टॉक भी कम करने में मदद मिलेगी। भारत के पास चीनी का सरप्लस स्टॉक है। सरकार ने चालू 2020-21 विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) में 60 लाख टन चीनी निर्यात को मंजूरी दी है। इसके लिए सरकार जलमार्ग पर 6 रुपये प्रति किलोग्राम की ट्रांसपोर्ट सब्सिडी और सड़क मार्ग से 4 रुपये प्रति किग्रा की सब्सिडी दे रही है। कुल चीनी निर्यात में से भारतीय मिलों ने अबतक 45 लाख टन के लिए सौदे कर लिए हैं।
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पाकिस्तान है दुनिया का आठवां सबसे बड़ा चीनी उत्पादक
पाकिस्तान के एक व्यापारी का कहना है कि यदि दोनों देशों के बीच व्यापार शुरू होता है तो भारत से आने वाली चीनी हमें सस्ती पड़ेगी और समय पर आयात करने से रमजान के महीने में घरेलू उपलब्धता भी बढ़ेगी। रमजान के महीने में चीनी की मांग अक्सर बढ़ जाती है और इससे खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेग। पाकिस्तान दुनिया का आठवां सबसे बड़ा चीनी उत्पादक और उपभोक्ता देश है। यहां लगभग 12 लाख हेक्टेयर में गन्ने की पैदावार होती है और यहां 89 चीनी मिलों में शक्कर का उत्पादन किया जाता है।