नई दिल्ली। देश में ‘रेडी टु ईट’ प्रोडक्ट का मार्केट 2017 तक 50 अरब डॉलर (3.34 लाख करोड़ रुपए) का हो जाएगा। एक सर्वे के मुताबिक अनुसार खाने के लिए तैयार प्रोडक्ट की बढ़ती लोकप्रियता के कारण अगले दो साल में डिब्बाबंद खाद्य बाजार में 56 फीसदी से अधिक की बढ़ोत्तरी देखने को मिल सकती है। फिलहाल ऐसे प्रोडक्ट का बाजार 32 अरब डॉलर का है। उद्योग मंडल एसोचैम के सर्वे में कहा गया महानगरों में खाने की आदतों में बड़ा बदलाव हुआ है। सर्वे के मुताबिक लोगों की दोहरी आमदनी, जीवन शैली और सुविधाओं में भारी बढ़ोत्तरी के कारण करीब 79 फीसदी परिवार तुरंत बनने वाले खाने को तरजीह देते हैं।
महीने में 10-12 बार टु ईट खाना खाते हैं लोग
एसोचैम के इस सर्वे में 76 फीसदी माता-पिता जो कामकाजी हैं और बच्चे पांच साल से कम उम्र के हैं वे किसी न किसी तरीके से महीने में 10-12 बार आसानी से तैयार होने वाला खाना खिलाते हैं। एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने कहा शहरी इलाकों विशेष तौर पर महानगरों में डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ की खपत बहुत अधिक है जहां जीवन की रफ्तार तेज है और इस क्षेत्र में बहुत सी कंपनियां आकर्षित हो रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक शहरी, कस्बाई और ग्रामीण उपभोक्ताओं में काफी फर्क है। डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों में शहरी क्षेत्र का योगदान 80 फीसदी है।
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तैयार खाना घर पर पहुंचाने का कारोबार कई गुना बढ़ा
रिपोर्ट में कहा गया कि 76 फीसदी एकल परिवारों को लगता है कि उन्हें पास रसोई के लिए कम समय है, जबकि 79 फीसदी अकेले रहने वाले लोग सुविधाजनक खाद्य पदार्थों को तरजीह देते हैं। ऐसी स्थिति में तैयार खाना घर पर पहुंचाने का कारोबार कई गुना बढ़ा है। डिब्बाबंद खाने के प्रमुख खंडों में बेकरी उत्पाद, कैन वाले सूखे प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, फ्रोजन प्रसंस्कृत उत्पाद, रेडी टु ईट खाने, डेयरी उत्पाद, जलपान सामग्री, प्रसंस्कृत मांस, स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद एवं पेय शामिल है।
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