नई दिल्ली। पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) के जरिये घरेलू पूंजी बाजार में निवेश अक्टूबर महीने में घटकर करीब ढाई साल के निचले स्तर दो लाख करोड़ रुपए पर आ गया।
पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा पी-नोट्स विदेशी निवेशकों को जारी किए जाते हैं, जिससे वे देश में खुद पंजीकृत हुए बिना भारतीय बाजार में भागीदारी कर सकते हैं। हालांकि, उन्हें इसके लिए पूरी जांच पड़ताल की प्रक्रिया से गुजरना होता है।
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- सेबी के आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर के अंत में शेयर, ऋण और डेरिवेटिव्स में पी नोट्स से निवेश घटकर 1,99,987 करोड़ रुपए पर आ गया।
- यह सितंबर के अंत तक 2,12,509 करोड़ रुपए था। अप्रैल, 2014 के बाद यह इसका सबसे निचला स्तर है।
- उस समय पी-नोट्स के जरिये निवेश 1,87,486 करोड़ रुपए था।
वित्त वर्ष 2016-17 में अप्रैल-अक्टूबर के दौरान 1,500 नए एफपीआई हुए पंजीकृत
चालू वित्त वर्ष के पहले सात माह में 1,500 से अधिक नए विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) ने पूंजी बाजार नियामक सेबी के समक्ष पंजीकरण कराया है। यह भारत की आर्थिक वृद्धि में उनके जुड़ने की इच्छा को बताता है।
- पिछले वित्त वर्ष में कुल 2,900 एफपीआई ने सेबी से मंजूरी प्राप्त की।
- सेबी के ताजा आंकड़े के अनुसार अक्टूबर में सेबी के पास पंजीकृत एफपीआई की संख्या बढ़कर 5,828 हो गई, जो मार्च अंत में 4,311 थी।
- इस प्रकार, मार्च से अक्टूबर के बीच 1,517 नए निवेशकों ने पंजीकरण कराया।
- बाजार विशेषज्ञों के अनुसार एफपीआई भारत को एक तरजीही और स्थिर बाजार के रूप में देखते हैं।
- इसका कारण वृहद आर्थिक स्थिरता, दीर्घकालीन वृद्धि संभावना तथा आर्थिक एवं सामाजिक सुधार है।
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