नई दिल्ली। भारतीय पूंजी बाजार में भागीदारी नोट (पी-नोट) के जरिए निवेश जून के अंत तक 2.10 लाख करोड़ रुपए रहा जो करीब दो साल का न्यूनतम स्तर है। ऐसा इस रास्ते से आने वाले फंड पर सख्त निगरानी के कारण हुआ है।
सेबी के निदेशक मंडल ने मई में विवादास्पद पी-नोट के दुरूपयोग पर नियंत्रण के लिए मानदंड सख्त किया है। इसका उपयोग करने वाले विदेशी निवेशकों के लिए भारतीय मनी लॉन्ड्रिंग रोधी कानून का अनुपालन और किसी तरह के संदिग्ध हस्तांतरण की फौरन सूचना देना अनिवार्य बना दिया गया। पी-नोट मुख्य तौर पर ऐसा जरिया है जो विदेशी पोर्टफोलियो निवेश उन विदेशी निवेशकों को जारी करते हैं जो समय बचाने के लिए भारतीय बाजार में बिना सीधे भारत में पंजीकरण कराए निवेश करना चाहते हैं। लेकिन उन्हें परिसंपत्तियों और देनदारी की जांच प्रक्रिया से गुजरना होगा।
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सेबी के आंकड़े के मुताबिक, भारतीय बाजारों में पी-नोट निवेश का कुल मूल्य (इक्विटी, रिण और डेरिवेटिव) जून के अंत में घटकर 2,10,731 करोड़ रुपए रह गया जो मई के अंत तक 2,15,338 करोड़ रुपए था। वहीं पार्टिसिपेट्री नोट के जरिए निवेश अप्रैल अंत तक घटकर 2.11 लाख करोड रुपए के 20 महीने के न्यूनतम स्तर पर आ गया जबकि सेबी ने इस मार्ग के जरिए आने वाले कोषों पर कड़ी निगाह रखी हुई है।
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