मुंबई। नरेंद्र मोदी सरकार की 100 स्मार्ट सिटी बनाने की महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के लिए अगले कुछ साल के दौरान 150 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी। प्राइवेट सेक्टर इसमें प्रमुख रूप से योगदान करने वाला होगा। डेलायट की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस 150 अरब डॉलर में से 120 अरब डॉलर प्राइवेट सेक्टर से आएंगे। रिपोर्ट में कहा गया कि स्मार्ट सिटी के लिए पैसा जुटाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। सरकार ने 7.51 अरब डॉलर के शुरुआती खर्च के साथ पहले ही दो कार्यक्रम स्मार्ट शहर मिशन और अटल मिशन फॉर रिजुविनेशन ऑफ अर्बन ट्रांसफार्मेशन (अमृत) शुरू किए है।
पैसा जुटाना बड़ी चुनौती
डेलायट इंडिया के वरिष्ठ निदेशक पी एन सुदर्शन ने कहा, हालांकि, इन स्मार्ट शहरों के लिए फाइनेंसिंग चिंता का विषय है, लेकिन स्मार्ट शहर परियोजना प्रबंधन, सरकार की निर्णय प्रक्रिया तथा नीति और नियामकीय ढांचे का विकास प्रमुख चुनौतियां हैं। सरकार ने हाल में 20 शहरों की लिस्ट जारी की है जिनका विकास स्मार्ट शहर के रूप में किया जाएगा। इस सूची में भुवनेश्वर टॉप पर है। उसके बाद पुणे, जयपुर, सूरत, कोच्चि, अहमदाबाद, जबलपुर, विशाखापट्टनम, शोलापुर, दवानगेरे, इंदौर, नयी दिल्ली, कोयम्बटूर, काकीनाड़ा, बेलागवी, उदयपुर, गुवाहाटी, चेन्नई, लुधियाना और भोपाल का नंबर आता है।
सरकार ने 50,802 करोड़ रुपए किए आवंटित
रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2016 में सर्विस प्रोवाइडर और ओवर द टाप कंटेंट प्रदाता शहर स्तर के वाईफाई नेटवर्क में भारी निवेश करेंगे। यह स्मार्ट शहरों की सेवाओं की रीढ़ होगी। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए केंद्र सरकार ने गुरुवार को पहले चरण में 20 शहरों के नाम घोषित किए हैं, जिन्हें स्मार्ट सिटी के तौर पर डेवलप किया जाएगा। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एम वेंकैया नायडू ने इन शहरों की घोषणा की। उन्होंने बताया कि सरकार ने पहले चरण के लिए 50,802 करोड़ रुपए का आवंटन भी किया है।
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