नई दिल्ली। बाजार नियामक सेबी ने मंगलवार को कहा कि पीएसीएल के 12.7 लाख से अधिक निवेशकों के 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के दावों में से 438 करोड़ रुपये की राशि लौटा दी गयी है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने जांच में पाया था कि पीएसीएल लि.ने कृषि और रियल एस्टेट कारोबार के नाम पर लोगों से 18 साल में 60,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि अवैध सामूहिक निवेश योजना (सीआईएस) के जरिये जुटायी। सेवानिवृत्त न्यायाधीश आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली एक समिति ने कंपनी में निवेश करने वाले निवेशकों का पैसा चरणबद्ध तरीके से लौटाने के लिये प्रक्रिया शुरू की थी।
सेबी ने एक बयान में कहा, ‘‘31 मार्च, 2021 की स्थिति के अनुसार समिति ने 12,70,849 पात्र आवेदनकर्ताओं के कुल 10,000 करोड़ रुपये के दावों में से 438.34 करोड़ रुपये लौटाये।’’ समिति ने फरवरी 2019 में पीएसीएल निवेशकों को पैसा वापस प्राप्त करने के लिये ‘ऑनलाइन’ आवेदन देने को कहा था। निवेशकों द्वारा अपलोड किये गये दस्तावेजों और उनके आवेदनों के सत्यापन के बाद भुगतान की प्रक्रिया शुरू की गयी थी। समिति ने निवेशकों के आवेदनों में विसंगतियां पाये जाने के बाद, उसे दूर करने के समय-समय पर मौके भी दिये ताकि आवेदन को आगे बढ़ाया जा सके। निवेशकों के लिये यह अवसर 31 मार्च, 2021 तक के लिये था। बयान के अनुसार फिलहाल दावा आवेदनों में गलतियों को सुधारने की सुविधा नहीं है और निवेशकों को इस संदर्भ में समिति की अधिसूचना का इंतजार करना पड़ सकता है।
उल्लेखनीय है कि सेबी ने निवेशकों का पैसा लौटाने में असमर्थ रहने पर दिसंबर 2015 में पीएसीएल और उसके नौ प्रवर्तकों तथा निदेशकों की सभी संपत्ति कुर्क करने के आदेश दिये थे। इससे पहले, नियामक ने 22 अगस्त, 2014 को पीएसीएल, उसके प्रवर्तकों तथा निदेशकों को पैसा लौटाने का निर्देश दिया था। चूककर्ताओं से योजनाएं बंद करने और निवेशकों का पैसा आदेश के तीन महीने के भीतर लौटाने को कहा गया था।
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