वियना/नई दिल्ली। कच्चे तेल की गिरती कीमतों को थामने के लिए तेल निर्यातक देशों का संगठन ओपेक उत्पादन में कटौती पर फैसले से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित दुनियाभर के नेताओं के बयान पर गंभीरता से विचार करेगा। वहीं सऊदी अरब के पेट्रोलियम मंत्री खालिद अल-फलीह ने वियना में ओपेक की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि नहीं, मैं तेल उत्पादन में कटौती को लेकर समझौते पर आश्वस्त नहीं हूं। इसका मतलब है कि कटौती पर अभी तक सदस्य देशों के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई है और इसके लिए कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा।
सऊदी अरब के तेल मंत्री खलील अल फलीह ने गुरुवार को कहा था कि तेल निर्यातक देशों का संगठन ओपेक गिरती कीमतों को थामने के लिए निर्यात में कटौती पर फैसले से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित दुनियाभर के नेताओं के बयान पर गंभीरता से विचार करेगा। भारत तेल का उपयोग करने वाला दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है। भारत अपनी ऊर्जा संबंधी 80 प्रतिशत जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है। मोदी की अगुवाई में विश्व नेताओं ने ओपेक से कच्चे तेल की उचित एवं जवाबदेह कीमत तय करने को कहा था।
पेट्रोलियम निर्यातक देशों के समूह (ओपेक) की बैठक में संवाददाताओं से बातचीत में फलीह ने कहा कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचारों को गंभीरता से लेते हैं, जो (अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरह) इस मुद्दे पर मुखर रहे हैं। हमने जी20 सम्मेलन के दौरान ब्यूनस आयर्स में उनसे मुलाकात की थी। निजी तौर पर उन्होंने अपने मुद्दों को बहुत मजबूती के साथ रखा कि वह भारतीय उपभोक्ताओं का ख्याल रखते हैं और उसे लेकर बहुत गंभीर हैं। मैंने भारत में भी उन्हें तीन ऊर्जा कार्यक्रमों में देखा है, जहां वह काफी मुखर थे। रूस के ऊर्जा मंत्री एलेक्जेंडर नोवाक ने सेंट पीटर्सबर्ग में गुरुवार को कहा था कि हमारी जलवायु परिस्थितियों के चलते अन्य देशों की तुलना में हमारे लिए कटौती करना ज्यादा मुश्किल है।
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