वडोदरा। ओएनजीसी पेट्रो एडिशंस (ओपीएएल) ने अपने दाहेज प्लांट से सिंगापुर को निर्यात शुरू कर दिया है। उसका इरादा अन्य देशों को और उत्पादों के निर्यात के लिए जल्दी ही निविदा जारी करने का है।
ओपीएएल के मुख्य कार्यकारी के. सत्यनारायण ने कहा कि बुटाडीन की पहली खेप सिंगापुर भेजी गयी है और कंपनी बेंजीन आदि अन्य उत्पादों का भी निर्यात दूसरे देशों को करना चाहती है। उन्होंने कहा कि 30,000 करोड़ रुपए का ओपीएएल प्लांट पहला है जो दाहेज सेज स्थित पेट्रोलियम, रसायन और पेट्रोरसायन निवेश क्षेत्र (पीसीपीआईआर) में स्थित है। इसके तहत उसे उत्पादन का 50 प्रतिशत निर्यात करना होता है।
- ओएनजीसी, गेल और गुजरात राज्य पेट्रोलियम कॉरपोरेशन द्वारा प्रवर्तित ओपीएल एक संयुक्त उद्यम है।
- सत्यनारायण ने कहा, यह देश में सबसे बड़ा पेट्रोरसायन संयंत्र है और पूर्ण क्षमता पर काम कर रहा है।
- इसकी पॉलीमर, निम्न और उच्च घनत्व के पालीथीन, पोलीप्रोपिलीन बनाने की 14 लाख टन सालाना क्षमता है।
- साथ ही बेंजीन, बुटाडीन और पाइरोलिसिस गैसेलीन आदि की 5 लाख टन उत्पादन की इसकी क्षमता है।
ऑयल इंडिया का ह्यूस्टन विश्वविद्यालय से करार
- ऑयल इंडिया ने अपने आरक्षित भंडार को बढ़ाने और अपने पुराने तेल क्षेत्रों से अधिकतम रिकवरी के प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए ह्यूस्टन विश्वविद्यालय से सहमति ग्यापन (एमओयू) किया है।
- इस एमओयू पर मंगलवार को पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की उपस्थिति में दस्तखत किए गए।
- एमओयू पर ऑयल इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक उत्पल बोरा और यूनिवर्सिटी आफ ह्यूस्टन की चांसलर और अध्यक्ष रेणु खातोर ने दस्तखत किए।
- इस एमओयू को ऐतिहासिक बताते हुए प्रधान ने कहा कि इससे असम तेल क्षेत्रों में सीओ2 कैप्चर प्रौद्योगिकी एप्लिकेशन के पायलट अध्ययन में मदद मिलेगी।
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