मुंबई। सरकार की महत्वाकांक्षी स्मार्ट सिटी परियोजना में अभी कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हो सकी है। एनारॉक प्रापर्टी कंसल्टेंट्स का कहना है कि अभी तक केवल पांच प्रतिशत परियोजनाएं ही पूरी की जा सकी हैं। स्मार्ट सिटी मिशन की शुरुआत 2015 में हुई थी। इस परियोजना का मकसद शहरी क्षेत्रों में परिवहन, बिजली आपूर्ति, कामकाज के संचालन और मूलभूत शहरी ढांचागत सेवाओं की बढ़ती समस्या से निपटना है।
एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के वाइस चेयरमैन संतोष कुमार ने कहा कि हालांकि इस मिशन के तहत इनमें से कुछ मुद्दों को हल करने का प्रयास कुछ हद तक हुआ है, लेकिन टियर-1 शहरों को स्मार्ट शहर में बदलना एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि इनमें से काफी शहर अपने ‘चरम’ पर पहुंच चुके हैं।
एनारॉक के अनुसार स्मार्ट सिटी मिशन के तहत कुल जारी 9,943 करोड़ रुपए की राशि में से सिर्फ दो प्रतिशत का इस्तेमाल हुआ है और सिर्फ पांच प्रतिशत परियोजनाएं पूरी हुई हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इससे यह सवाल खड़ा होता है कि क्या 2020 तक स्मार्ट शहरों के विकास का लक्ष्य वास्तविकता के आसपास भी है।
कुमार ने कहा कि इसके रास्ते में कई तरह की अड़चनें हैं। इनमें भूमि अधिग्रहण, विरोध करने वाले अंशधारकों से जमीन खरीदना आदि हैं। इन वजहों से परियोजनाओं का तेजी से क्रियान्वयन पूरा नहीं हो पा रहा है।
कुमार ने बताया कि बड़े शहरों की तुलना में छोटे शहरों का प्रदर्शन बेहतर रहा है। शहरी विकास मंत्रालय की हालिया स्मार्ट सिटी रैंकिंग के अनुसार दूसरी श्रेणी के शहर नागपुर, वडोदरा और अहमदाबाद शीर्ष पर रहे हैं। वहीं पुणे, चेन्नई और कई अन्य पहली श्रेणी के शहर पिछड़ गए हैं।
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