नई दिल्ली। किसानों अपनी उपज का पूरा दाम मिल पाए इसके लिए तैयार की जा रही ऑनलाइन नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट में कारोबार अगले साल फरवरी से शुरु हो जाएगा। कई राज्यों की लगभग 200 मंडियों के शुरुआती इंटीग्रेशन के साथ ऑनलाइन नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट शुरू होगा। मंडियां ऑनलाइन होने से किसानों को दूसरी मंडियों के भाव का भी पता चला पाएगा। इससे उससे अपनी उपज का पूरा दाम मिल पाएगा। साथ ही स्टॉक पता होने से कालाबाजारी पर भी रोक लगेगा, जिससे आम उपभोक्ता को एग्रीकल्चर कमोडिटी सही दाम पर मिलेगा।
585 मंडियों को ऑनलाइन करने का लक्ष्य
केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने राज्यों के कृषि अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक के बाद कहा, हमारा लक्ष्य 585 मंडियों के इंटीग्रेशन का है। मेरा मानना है कि फरवरी 2016 में परिचालन शुरू करने के लिए इनमें से कम से कम 200 मंडियां इंटीग्रेशन के लिए तैयार होंगी। उन्होंने कहा कि केंद्र को कर्नाटक, गुजरात, तेलंगाना व महाराष्ट्र से 164 थोक बाजारों में जरूरी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए प्रस्ताव मिले हैं।
ई-मार्केट के लिए स्ट्रेटेजिक पार्टनर की तलाश
राधा मोहन सिंह ने कहा कि कर्नाटक में 50 थोक बाजारों में काम पहले ही पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा, हमने 40 मंडियों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए गुजरात को 12 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। इसी तरह तेलंगाना को 44 मंडियों के लिए 12.16 करोड़ रुपए और महाराष्ट्र को 30 मंडियों के लिए 9 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। सिंह ने कहा कि इन मंडियों के ऑनलाइन इंटीग्रेशन के लिए एक सॉफ्टवेयर विकसित किया जाएगा। नेशनल एग्रीकल्चर ई-मार्केट के इम्प्लीमेंटेशन के लिए एक स्ट्रेटेजिक पार्टनर के लिए सरकार ने टेंडर जारी किया है।
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