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Onion Price: सेब से दोगुना हुआ प्याज का दाम, केंद्र सरकार की तमाम कोशिशें हुईं बेकार

केंद्र सरकार के तमाम उपायों के बावजूद प्याज की कीमतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। वहीं प्याज के बढ़ते दामों को लेकर देशभर में राजनीति भी गरमा गई है।

Onion Price । File Photo- India TV Paisa Onion Price । File Photo

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के तमाम उपायों के बावजूद प्याज की कीमतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। वहीं प्याज के बढ़ते दामों को लेकर देशभर में राजनीति भी गरमा गई है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्याज सेब से दोगुने दाम में बिक रहा है। सेब जहां 40 से 60 रुपए किलो मिल रहा है वहीं प्याज की कीमत 80 से 100 रुपए प्रति किलो हो गई है। दिल्ली के आजादपुर मंडी में पिछले साल 28 नवंबर 2018 में प्याज का थोक भाव जहां 2.50-15 रुपए प्रति किलो था वहां गुरुवार को 29-57.50 रुपए प्रति किलो था। वहीं दिल्ली-एनसीआर के बाजारों में खुदरा प्याज 70-100 रुपए प्रति किलो बिक रहा था।

मालूम हो कि 2018-19 में देश में प्याज का उत्पादन 234.85 लाख टन था जबकि इससे एक साल पहले 2017-18 में 232.62 लाख टन। इस प्रकार पिछले साल से उत्पादन ज्यादा होने के बावजूद इस साल आवक का टोटा होने के कारण बीते तीन महीने से प्याज की कीमत आसमान पर है।

कृषि विशेषज्ञ विजय सरदाना ने बताया कि देश में प्याज के भंडारण की समुचित व्यवस्था नहीं होने से बीते सीजन का प्याज खराब हो गया, वहीं मौसम की मार से नई फसल खेतों में बर्बाद हो गई, जिसके कारण प्याज का टोटा बना हुआ है। देश में प्याज के सबसे बड़े उत्पादक प्रदेश महाराष्ट्र से गुरुवार को कोई प्याज की आवक नहीं हुई हालांकि अफगानिस्तान से प्याज आ रहा है, लेकिन खपत के मुकाबले आवक कम होने से थोक दाम में फिर बढ़ोतरी दर्ज की गई।

प्याज के दाम को थामने में केंद्र सरकार लाचार दिख रही है, क्योंकि सरकार के पास एकमात्र उपाय है कि विदेशों से प्याज मंगाकर इसी उपलब्धता बढ़ाई जाए, लेकिन कारोबारियों और कृषि विशेषज्ञों की माने तो देश में प्याज की जितनी मांग है उसकी पूर्ति आयात से करना मुश्किल है। केंद्र सरकार ने 1.2 लाख टन प्याज का आयात करने का फैसला लिया है, जबकि कारोबारी बताते हैं कि देश में तकरीबन 50,000-60,000 टन रोजाना प्याज की खपत है। ऐसे में आयात का यह परिमाण महज दो दिनों की खपत के बराबर है।

दिल्ली के आजादपुर मंडी के कारोबारी और ऑनियन मर्चेट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा ने कहा कि देश में तकरीबन 50,000-60,000 टन रोजाना प्याज की खपत होती है। उन्होंने कहा कि देश की राजधानी दिल्ली में ही प्याज की रोजाना की खपत इस समय करीब 2,000 टन है, जिसकी पूर्ति नहीं हो पा रही है, इसलिए कीमत ऊंची है। कृषि विशेषज्ञ विजय सरदाना की माने तो इस समय करीब 10 लाख टन प्याज का आयात करने की आवश्यकता है और इतने बड़े परिमाण में प्याज का आयात करना मुश्किल है क्योंकि इतना प्याज विदेशों में कहीं उपलब्ध नहीं होगा।

गौरतलब है कि सरकार मिस्र, तुर्की, हॉलैंड व दूसरें देशों से प्याज मंगाने की कोशिश कर रही है और एमएमटीसी ने मिस्र से प्याज आयात के अनुबंध भी किए हैं और मिस्र से 6,090 टन प्याज की खेप अगले महीने देश में आने वाली है। उधर, कारोबारियों द्वारा अफगानिस्तान से प्याज मंगाया जा रहा है, लेकिन इसके बावजूद देशभर में प्याज की कीमत आसमान पर है और आम उपभोक्ताओं के लिए प्याज खरीदना मुश्किल हो गया है।

उधर, प्याज की महंगाई को लेकर राजनीतिक वातावरण गर्म हो चुका है। कांग्रेस ने गुरुवार को कहा कि कमोडिटी मूल्य नियंत्रण मोदी सरकार के वश के बाहर हो गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद पी.एल. पुनिया ने कहा कि प्याज 120 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से मिल रहा है, लेकिन सरकार इस अकल्पनीय मूल्य वृद्धि से पूरी तरह अनजान लग रही है।

केंद्र सरकार ने उठाए ये कदम

सरकार ने व्यापारियों के लिए प्याज के भंडारण पर लगी सीमा को बुधवार को अनिश्चितकाल के लिए बढ़ा दिया। मौजूदा समय में, खुदरा व्यापारी 100 क्विंटल तक प्याज का और थोक व्यापारी 500 क्विंटल तक का भंडारण कर सकता है। हालांकि, प्याज की कीमतों और उपलब्धता पर नजर रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच मंत्रियों की समिति गठित की है। 

बता दें कि प्याज का अधिककर पैदावार महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान में होती है। इनमें राजस्थान को छोड़कर सभी प्रदेशों में बाढ की वजह से प्याज की पैदावार खराब हो गई है। उधर व्यापारियों का मानना है कि दिसंबर के अंत तक प्याज के दाम कम होंगे। 

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