नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी तेल एवं गैस उत्पादक कंपनी ओएनजीसी ने शुक्रवार को कहा कि उसे प्राकृतिक गैस कारोबार में 6,000 से 7,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने जा रहा है। कंपनी को इस नुकसान का कारण सरकार के आदेशानुसार ईंधन की दर है जो एक दशक के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गयी है। ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) के निदेशक (वित्त) सुभाष कुमार ने कहा कि सरकार के फार्मूले के अनुसार जो दरें तय हुई हैं, वह उसकी उत्पादन लागत 3.5 से 3.7 डॉलर प्रति 10 लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट से काफी कम है। गैस के दाम एक में एक डालर की कमी से उसके राजस्व में करीब 5,200 करोड़ रुपये और लाभ में 3,500 करोड़ रुपये की कमी आती है। उन्होंने कहा, ‘‘चालू वित्त वर्ष में हमारा नुकसान 6,000 से 7,000 करोड़ रुपये का होगा।’’
ओएनजीसी को घरेलू गैस उत्पादक फील्डों से उत्पादित 6.5 करोड़ घन मीटर प्रतिदिन गैस पर नुकसान हो रहा है। यह नुकसान नवंबर 2014 में गैस कीमत निर्धारण का नया फार्मूला अमल में लाने के कारण हो रहा है। इसके तहत अमेरिका, कनाडा और रूस जैसे गैस अधिशेष वाले देशों के मूल्य निर्धारण केंद्रों पर आधारित है जिसकी अपनी ‘सीमाएं’ हैं। इस फार्मूले के अनुसार कीमत में साल में दो बार संशोधन किया जाता है और एक अक्टूबर से शुरू अवधि के लिये दर 25 प्रतिशत कम होकर 1.79 डॉलर प्रति 10 लाख यूनिट कर दी गई है। हालांकि ओएनजीसी के निदेशक ने उम्मीद जतायी कि सरकार कंपनी के अनुरोध पर कदम उठाएगी और नुकसान पर अंकुश लगाने के लिये गैस का न्यूनतम मूल्य तय करेगी। ओएनजीसी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक शशि शंकर ने कहा कि मौजूदा गैस कीमत लागत के अनुरूप नहीं है और कंपनी ने पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय को फार्मूले में उपयुक्त संशोधन का आग्रह किया है। उन्होंने कहा, ‘‘मंत्रालय ने मामले पर गौर किया है और इस पर विचार के लिये एक समिति गठित की गयी है।’’ शंकर ने कहा कि अगर घरेलू उत्पादन को बढ़ाना है तो कीमतें लाभकारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘न्यूनतम मूल्य और फार्मूले में बदलाव की बात है। लेकिन मैं इस बारे में कुछ कह नहीं सकता कि आगे क्या स्थिति बनती है। लेकिन हम इसको लेकर आशावादी हैं।’’ गैस के लिये 1.79 डॉलर प्रति यूनिट की दर उन फील्डों से होने वाले उत्पादन पर लागू होती है, जो कंपनी को नामाकंन आधार पर मिले हैं। ओएनजीसी को उन ब्लॉक या क्षेत्रों के मामले में कीमत निर्धारण को लेकर आजादी है, जो उसने नीलामी के जरिये 1999 से हासिल की है। शंकर ने कहा कि सरकार की इस सप्ताह की शुरूआत में विपणन आजादी की मंजूरी से ऐसे ब्लॉक में खोजे गये गैस को बाजार पर चढ़ाने में मदद मिलेगी।
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