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ओएनजीसी ने 43 तेल, गैस क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ाने के लिए निजी कंपनियों से बोलियां आमंत्रित की

कंपनी के मुताबिक इन क्षेत्रों में लगभग 16 करोड़ टन की कुल तेल और इतनी ही गैस की मात्रा है। ये क्षेत्र गुजरात,असम, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में फैले हुए हैं।

<p>43 तेल, गैस क्षेत्रों...- India TV Paisa Image Source : ONGC 43 तेल, गैस क्षेत्रों के लिये बोलियां आमंत्रित

नई दिल्ली। तेल एवं गैस की खोज और उत्पादन करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) ने बृहस्पतिवार को अपने 43 छोटे तेल और गैस क्षेत्रों के संचालन को निजी कंपनियों के हाथों सौंपने के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं। निजी कंपनियों से बोलियां आमंत्रित किये जाने के पीछे मकसद इन क्षेत्रों से उत्पादन बढ़ाना है। ओएनजीसी ने एक बयान में कहा कि 43 क्षेत्रों को 11 अनुबंध समूहों में इकट्ठा किया गया है। ये अनुबंध अधिकतम तेल और गैस उत्पादन की पेशकश करने वाली कंपनियों को दिए जायेंगे। इसके लिये एक पूर्व निर्धारित आधार रेखा तय होगी उससे ऊपर जो कंपनी अधिकतम उत्पादन की पेशकश करेगी उसके हाथों उस क्षेत्र का परिचालन सौंप दिया जायेगा। 

ओएनजीसी ने इससे पहले जून 2019 में 64 क्षेत्रों के लिए भी इसी तरह की बोलियां आमंत्रित की थी, जिन्हें 17 अनुबंध क्षेत्रों में बांटा गया था। इन बोलियों में हालांकि कंपनियों ने ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई और यह बोली दौर असफल रहा था। तेल एवं प्राकृतिक गैस कंपनी ने एक बयान में कहा, ‘‘ओएनजीसी ने अपने उत्पादक क्षेत्रों से अधिकतम उत्पादन के लक्ष्य के तहत आमंत्रण पेशकश नोटिस (एनआईओ) की घोषणा की है।’’ इसमें कहा गया है कि कंपनी अपने नामांकन वाले सीमांत क्षेत्रों से उत्पादन बढ़ाने के लिये भागीदार की तलाश में है। कंपनी अपने उत्पादन वाले क्षेत्रों से अधिक से अधिक तेल अथवा गैस की प्राप्ति के लक्ष्य के साथ यह बोलियां आमंत्रित कर रही है। 

बयान के अनुसार इन क्षेत्रों में लगभग 16 करोड़ टन की कुल तेल और इतनी ही गैस की मात्रा है। ये क्षेत्र गुजरात,असम, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में फैले हुए हैं। इससे पहले 2019 में जिन 64 क्षेत्रों की पेशकश की गई थी उनमें कुल मिलाकर 30 करोड़ टन तेल और तेल समान प्राकृतिक गैस का भंडार होने का अनुमान है। दरअसल पेट्रोलियम मंत्रालय करीब करीब स्थिर चल रहे तेल और गैस उत्पादन को लेकर नाखुश है। उसका मानना है कि इन क्षेत्रों को जिनमें पहले ही खोज हो चुकी है उत्पादन के लिये निजी कंपनियों को देने से उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी। निजी कंपनियां इनमें बेहतर प्रौद्योगिकी और पूंजी लगा सकतीं हैं। 

 

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