और महंगा होगा पेट्रोल-डीजल, आपूर्ति घटने की आशंकाओं से कच्चे तेल की कीमतों में उछाल
वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में फिर आई तेजी से सोमवार को घरेलू वायदा बाजार में तेल के दाम में जोरदार उछाल आया।
नई दिल्ली। वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में फिर आई तेजी से सोमवार को घरेलू वायदा बाजार में तेल के दाम में जोरदार उछाल आया। एमसीएक्स पर कारोबार के दौरान करीब 2.5 फीसदी की तेजी के साथ कच्चे तेल का दाम पिछले चार साल के ऊंचे स्तर पर चला गया। सऊदी अरब और रूस द्वारा कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने से इनकार करने के बाद आगे तेल की आपूर्ति घटने की आशंका से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेजी का रुख बना हुआ है। ब्रेंट क्रूड के दाम में भी दो फीसदी से ज्यादा का उछाल आया है।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सोमवार को शाम 6.50 बजे कच्चे तेल का अक्टूबर डिलीवरी वायदा 109 रुपये यानी 2.21 फीसदी की बढ़त के साथ 5,255 रुपये प्रति बैरल पर बना हुआ था। इससे पहले इस वायदा अनुबंध में 5,269 रुपये प्रति बैरल का उछाल आया, जोकि अक्टूबर 2014 के बाद का सबसे ऊपरी स्तर है।
एंजेल ब्रोकिंग हाउस के ऊर्जा मामलों के जानकार अनुज गुप्ता ने आईएएनएस को बताया कि एमसीएक्स पर अक्टूबर 2014 के बाद तेल के दाम में सबसे ज्यादा उछाल आया है और फिलहाल कीमतों में नरमी की संभावना कम है, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेजी का रुख बना हुआ है।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार न्यूयार्क मर्के टाइल एक्सचेंज (नायमैक्स) पर अमेरिकी लाइट क्रूड डब्ल्यूटीआई का नवंबर डिलीवरी वायदा 1.28 डॉलर यानी 1.81 फीसदी की बढ़त के साथ 72.06 डॉलर प्रति बैरल पर बना हुआ था, जबकि इससे पहले 72.38 डॉलर प्रति बैरल का उछाल देखा गया।
इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज पर ब्रेंट क्रूड का दिसंबर डिलीवरी वायदा 1.73 डॉलर यानी 2.21 फीसदी बढ़त के साथ 79.97 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था। इससे पहले वायदा अनुबंध में 80.31 डॉलर प्रति बैरल का उछाल आया।
गुप्ता ने कहा कि सऊदी अरब और रूस ने स्पष्ट किया है कि तेल के दाम पर नियंत्रण बनाने के मकसद से उत्पादन आपूर्ति बढ़ाने की उनकी कोई योजना नहीं है क्योंकि मौजूदा कीमतों पर उन्हें कोई कठिनाई नहीं है।
सऊदी अरब प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता देशों के समूह ओपेक में अग्रणी तेल उत्पादक है और गैर-ओपेक देशों में रूस कच्चे तेल का प्रमुख उत्पादक है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में तेल की आपूर्ति घटने की आशंकाओं से कीमतों में तेजी का रुख बना हुआ है और फिलहाल नरमी की संभावना कम है क्योंकि ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध से तेल के दाम को लगातार सपोर्ट मिल रहा है।