नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की दूसरी सबसे बड़ी तेल एवं गैस उत्पादक कंपनी ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) को चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के दौरान शुद्ध घाटा हुआ है। कच्चे तेल की कीमतें उत्पादन लागत से नीचे आने की वजह से कंपनी को घाटा उठाना पड़ा है। कंपनी के इतिहास में यह दूसरा मौका है, जबकि उसे तिमाही के दौरान घाटा हुआ है।
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ऑयल इंडिया को 248.61 करोड़ रुपए का शुद्ध घाटा हुआ है। इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में कंपनी ने 624.80 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। ऑयल इंडिया के निदेशक (वित्त) हरीश माधव ने कहा कि ऑयल इंडिया के इतिहास में यह दूसरा तिमाही घाटा है। इससे पहले 2018-19 में कंपनी को तिमाही घाटा हुआ था।
उन्होंने कहा कि इसकी मुख्य वजह कीमतों में गिरावट है। इस दौरान कंपनी को प्रत्येक बैरल तेल के उत्पादन पर 30.43 डॉलर की कीमत की प्राप्ति हुई। वहीं एक साल पहले समान तिमाही में कंपनी को प्रत्येक बैरल उत्पादन पर 66.33 डॉलर प्राप्त हुए थे। माधव ने कहा कि हमारी उत्पादन लागत 32-33 डॉलर प्रति बैरल बैठती है। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट पहली तिमाही में घाटे की मुख्य वजह है।
ऑयल इंडिया ने अप्रैल-जून की तिमाही में 7.5 लाख टन कच्चे तेल का उत्पादन किया। एक साल पहले समान तिमाही में कंपनी का कच्चे तेल का उत्पादन 8.1 लाख टन रहा था। इसी तरह कंपनी का प्राकृतिक गैस का उत्पादन भी मामूली घटकर 68 करोड़ घनमीटर रह गया, जो 2019-20 की पहली तिमाही में 71 करोड़ घनमीटर रहा था। माधव ने बताया कि पहली तिमाही में प्राकृतिक गैस के उत्पादन पर प्राप्ति घटकर 2.39 डॉलर प्रति इकाई या एमएमबीटीयू रह गई, जो पहले 3.23 डॉलर प्रति इकाई रही थी।
ऑयल इंडिया की गैस के उत्पादन की लागत 2.3 डॉलर प्रति इकाई रहा। माधव ने कहा कि गैस के उत्पादन पर प्राप्ति ठीक रही, लेकिन तेल के उत्पादन पर प्राप्ति घटने की वजह से कंपनी को नुकसान हुआ।
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