लंदन। आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) ने अंतरराष्ट्रीय कर नियमों में बदलाव का प्रस्ताव किया है। इसके पीछे मकसद गूगल, अमेजन जैसी बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों को टैक्स के दायरे में लाना और उसकी वसूली करना है। ओईसीडी का कहना है कि अगर इस प्रस्ताव को नहीं अपनाया गया तो कोविड-19 संकट से अर्थव्यवस्था को उबारना और कठिन होगा।
दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं को परामर्श देने वाले पेरिस के इस संगठन ने कहा कि जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों की इस सप्ताह होने वाली बैठक में टैक्स में सुधार को लेकर रूपरेखा पेश की जाएगी और अगर इस पर सहमति बनती है तो इसे 2021 के मध्य से लागू किया जा सकेगा। ओईसीडी का मानना है कि इस उपाय से सालाना 100 अरब डॉलर का कंपनी आयकर सृजित हो सकेगा।
उल्लेखनीय है कि डिजिटल टैक्स को लेकर ओईसीडी 135 से अधिक देशों के बीच एक सहमति बनाने की कोशिश कर रहा है। फ्रांस और यूरोपीय संघ के अन्य देश अमेजन, गूगल आदि जैसी अमेरिका की दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनियों पर कर लगाने की लंबे समय से मांग कर रहे हैं। हालांकि अमेरिका इसके खिलाफ है।
एडीबी, सरकार ने 57 करोड़ डॉलर के ऋण समझौते पर किए हस्ताक्षर
एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने सोमवार को कहा कि उसने भारत सरकार के साथ 57 करोड़ डॉलर (करीब 4,180 करोड़ रुपए) का ऋण समझौता किया है। यह कर्ज राजस्थान और मध्य प्रदेश में बुनियादी ढांचा निर्माण और शहरी स्थानीय निकायों को मजबूत बनाने के लिए है। एडीबी ने एक बयान में कहा कि भारत सरकार ने राजस्थान के 14 शहरों (टीयर 2) में समावेशी और भरोसेमंद जल आपूर्ति तथा स्वच्छता संबंधी ढांचागत सुविधाओं तथा सेवाओं के लिए एशियाई विकास बैंक के साथ 30 करोड़ रुपए का ऋण समझौता किया है।
इसके अलावा, मध्य प्रदेश में जल आपूर्ति और एकीकृत वर्षा जल संचयन (स्टार्मवाटर) और दूषित जल प्रबंधन ढांचागत सुविधा के साथ-साथ बेहतर आपूर्ति सेवाओं के लिए शहरी स्थानीय निकायों को मजबूत बनाने को लेकर 27 करोड़ डॉलर का कर्ज समझौता किया गया है।
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