नई दिल्ली। खतरनाक धुएं की वजह से प्रदूषण की भयावह समस्या ने किसानों के लिए अतिरिक्त कमाई के रास्ते खोल दिए हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण को लेकर बढ़ती चिंता के बीच केंद्र सरकार ने आज एक बहुत ही अहम घोषणा की है। बिजली मंत्रालय ने कहा है कि कोयले से चलने वाले बिजली घरों में 10 प्रतिशत पराली के गठ्ठे (स्टबल पैलेट्स्) का इस्तेमाल किया जाएगा। सार्वजिनक क्षेत्र की कंपनी एनटीपीसी (NTPC) आने वाले दिनों में इसकी खरीद के लिए निविदा जारी करेगी।
केंद्रीय बिजली मंत्री आरके सिंह ने आज यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि NTPC पराली के गट्ठे खरीदने के लिए आने वाले दिनों में निविदा जारी करेगी। यह खरीद 5,500 रुपए प्रति टन की दर से की जाएगी। बिजली मंत्रालय का यह कदम प्रदूषण पर अंकुश लगाने के साथ-साथ किसानों के लिए भी लाभकारी साबित होगा। उल्लेखनीय है कि दिल्ली और आसपास के इलाकों में बढ़ते प्रदूषण के स्तर के लिए पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा बड़ी मात्रा में खेतों में पराली जलाए जाने को बड़ी बजह बताया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि किसान विकल्प के अभाव में खेतों में पराली जलाते हैं।
सिंह ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि औसतन एक किसान एक एकड़ जमीन में धान की खेती से दो टन पराली प्राप्त करता है। ऐसे में किसानों को प्रति एकड़ जमीन से 11,000 रुपए प्राप्त होंगे। NTPC इस पराली की खरीद के लिए अगले कुछ दिनों में निविदा जारी करेगी। इसके लिए 5,500 रुपए प्रति टन के हिसाब से भुगतान किया जाएगा।
यह पूछे जाने पर कि नीलामी के तहत कौन बोली लगाएगा, मंत्री ने कहा कि नया बाजार तैयार किया जाएगा। इसके तहत सेवा प्रदाता किसानों के साथ गठजोड़ कर बोली में भाग लेंगे। इसमें कोई भी भाग ले सकता है। मंत्री ने यह भी कहा कि पराली के उपयोग से बिजली उत्पादन शुल्क में कोई वृद्धि नहीं होगी। उन्होंने इस बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि बिजलीघरों में ईंधन में 10 प्रतिशत तक पराली मिश्रण संभव है और इससे सकल ऊर्जा मूल्य (टोटल कैलोरिफिक वैल्यू) के संदर्भ में दक्षता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। मंत्री ने कहा कि हम इसे सभी ताप बिजली घरों में अनिवार्य करने के लिए राज्यों से बातचीत कर रहे हैं।
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