नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की एनटीपीसी बिजली उत्पादन की लागत औसत 39.5 पैसा और मौदा महाराष्ट्र परियोजना के लिए 1.65 रुपए प्रति यूनिट की कमी लाने में सफल रही है। इसका मुख्य कारण कोयले की गुणवत्ता और आपूर्ति में सुधार है।
बिजली मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि एनटीपीसी के पास उपलब्ध आंकड़े से पता चलता है कि कोयले की गुणवत्ता और उसकी आपूर्ति में सुधार से पिछले वित्त वर्ष में बिजली उत्पादन की लागत दो रुपए से नीचे आ गई है।
कंपनी की बिजली उत्पादन की कुल लागत 39.5 पैसे प्रति इकाई कम हुई है। इसमें कर और उपकर शामिल नहीं है जो मुख्य रूप से पर्यावरण के संरक्षण के वित्त पोषण के लिए लगाया जाता है। आंकड़ों के अनुसार कंपनी के लिए बिजली उत्पादन की लागत 2014-15 में 2.01 रुपए प्रति इकाई थी। 2016-17 में अप्रैल-फरवरी के दौरान घटकर 1.94 रुपए प्रति यूनिट पर आ गई।
अधिकारी ने कहा कि वास्तविक कटौती 6.4 पैसा प्रति यूनिट है लेकिन अगर शुल्क को ध्यान में लिया जाए तो बिजली उत्पादन लागत में 39.5 पैसे प्रति यूनिट की कमी आई है। आंकड़ों के अनुसार शुल्कों के प्रभाव की समीक्षा को ध्यान में रखते हुए एनटीपीसी की मौदा परियोजना की बिजली उत्पादन लागत 1.65 रुपए प्रति यूनिट तक घट गई है। अधिकारी ने कहा कि आयातित कोयले पर निर्भर नई परियोजनाएं और संयंत्रों को सर्वाधिक लाभ हुआ है।
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