मुंबई। आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि वह कुछ कंपनियों द्वारा पेमेंट बैंक का लाइसेंस वापस किए जाने से बहुत परेशान नहीं हैं। पर उन्होंने संकेत दिया कि यह सुनिश्चित करने के लिए एक प्रणाली हो सकती है इकाइयां हर तरह से जांच-परख कर ही आवेदन करें क्योंकि उनकी जांच में लागत लगती है। तीन इकाइयां – टेक महिंद्रा के अलावा चोलमंडलम इन्वेस्टमेंट एवं फाइनेंस कंपनी और दिलिप सांघवी, आईडीएफसी बैंक तथा टेलीनॉर फाइनेंशियल सर्विसेज के कंसोर्टियम – ने पेमेंट बैंक लाइसेंस वापस करने का फैसला किया है।
राजन ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्वैमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद कहा, हम इस बात से बहुत परेशान नहीं हैं कि कुछ लोगों ने विश्लेषण के बाद फैसला किया कि वह आगे नहीं बढ़ेंगे। दरअसल इससे संकेत मिलता है कि लाइसेंस बहुत उदारता से प्रदान किया गया है और हमारे पास कई तरह की इकाइयां आ रही हैं। पिछले अगस्त में आरबीआई ने 11 आवेदकों को भुगतान बैंक की स्थापना के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी थी जिनमें डाक विभाग, आदित्य बिड़ला नुवो, एयरटेल एम कामर्स सेवाएं, फिनो पे टेक, नैशनल सिक्युरिटीज डिपॉजिटरीज, रिलायंस इंडस्ट्रीज, टेक महिंद्रा और वोडाफोन एम-पैसा शामिल थी।
राजन ने कहा, हमने उन सभी को लाइसेंस दिया जिनके बारे में हमने सोचा कि वे पेमेंट बैंक चलाने योग्य हैं। हमारा मानना है कि उन्होंने भी संभावित कारोबारी संभावनाओं का आकलन किया। विश्लेषण और कौन सी इकाइयां आ रही हैं यह देखने के बाद कुछ ने वापस करने का फैसला किया। उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि भुगतान बैंक विशेष तौर पर उनके लिए कारगर है जिनका परिचालन आधार है और कुछ संपर्क केंद्र हैं। साथ ही वे इसे और मजबूत कर सकते हैं।
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