नई दिल्ली। एयर इंडिया में अपनी हिस्सेदारी बेचने में जुटी सरकार की कोशिशों को बड़ा झटका लगा है। आज एयर इंडिया की हिस्सेदारी खरीदने के लिए बोली लगाने का आखिरी दिन था। लेकिन अभी तक किसी भी प्राइवेट कंपनी ने हिस्सेदारी लेने के लिए बोली नहीं लगाई है। सरकार ने कहा कि एयर इंडिया विनिवेश मामले में आगे की कार्रवाई को लेकर उचित निर्णय लिया जायेगा। हालांकि इससे पहले सिविल एविएशन सेक्रेटरी आर एन चौबे ने कहा था कि समय खत्म होने के बाद भी सरकार का डेडलाइन बढ़ाने का कोई इरादा नहीं है।
एयर इंडिया पिछले कई साल से घाटे में चल रही है। ऐसे में सरकार इस एयरलाइंस में अपनी 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचना चाहती है। एयर इंडिया में हिस्सेदारी लेने के लिए शुरुआत में कुछ प्राइवेट कंपनियों ने पूछताछ की। लेकिन अभी तक कोई बोली नहीं लगाई गई है। जेट ऐयरवेज और इंडिगो जैसी घरेलू कंपनियां पहले ही एयर इंडिया को खरीदने से साफ इंकार कर चुकी हैं।
पहले रुचि पत्र जमा करने की डेडलाइन 14 मई थी। हालांकि सरकार को पिछले महीने तक इस बारे में सफलता मिलने की संभावना दिखाई दे रही थी। ऐसे में आखिरी तारीख को बढ़ाकर 31 मई किया गया था। एयर इंडिया पर 50 हजार करोड़ रुपये का कर्ज बताया गया है। जून 2017 में आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमिटी (CCEA) से इसके विनिवेश की मंजूरी मिली थी।
सरकार ने एयर इंडिया को पांच हिंस्सों में बांटा है। इनमें चार हिस्सों को बेचा जाएगा, जिनमें एक हिस्सा एयर इंडिया, एयर इंडिया एक्सप्रेस और एआई एसएटएस है, दूसरा हिस्सा ग्राउंड हैंडलिंग यूनिट, तीसरा हिस्सा इंजीनियरिंग यूनिट और चौथा हिस्सा अलायंस एयर है। जबकि पांचवे हिस्से एसवीपी को सरकार अपने पास रखेगी।
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