नई दिल्ली। कमजोर मानसून के कारण उत्पादन कम रहने की चिंताओं के बीच सरकार ने चालू वर्ष में गेहूं की कमी की आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा कि किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए गेहूं का पर्याप्त भंडार मौजूद है। मुख्य रबी फसल गेहूं की बुवाई, जो अक्टूबर से शुरू हुई थी, लगभग समाप्त होने वाली है। अधिक तापमान के कारण पिछले वर्ष के मुकाबले बुवाई के रकबे में करीब 1.1 लाख हेक्टेयर की कमी आई है और विशेषज्ञों ने संकेत दिया है कि इस वर्ष उत्पादन नौ करोड़ टन से कम रहेगा।
यह पूछने पर कि उत्पादन और खरीद की चिंताओं के बीच खाद्य कानून के तहत मांग को पूरा करने के लिए सरकार की क्या गेहूं का आयात करने की योजना है, खाद्य सचिव वृंदा स्वरूप ने कहा कि हमारे पास करीब 2.3 करोड़ टन का गेहूं का स्टॉक जमा है। मुझे लगता है कि हमारी स्थिति आरामदेह है। उन्होंने कहा कि खरीफ उत्पादन में कमी के अनुमानों के बावजूद चावल खरीद स्तर में वृद्धि को देखते हुए मौजूदा समय में चिंता का कोई कारण नहीं है। विपणन वर्ष 2015-6 (अक्टूबर से सितंबर) में अभी तक चावल की खरीद बढ़कर 2.24 करोड़ टन हो गई है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 1.74 करोड़ टन थी।
सरूप में कहा कि इसी प्रकार से हमें उम्मीद है कि गेहूं की खरीद भी अधिक होगी। हम अगले 15 दिनों में गेहूं के उत्पादन के बारे में सही तस्वीर प्राप्त करेंगे और उसी के अनुसार हम खरीद के बारे में अवगत हो सकेंगे। खाद्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि विगत दो वर्षों में कमजोर बरसात के बावजूद जोरदार खरीद व्यवस्था के कारण पर्याप्त से कहीं अधिक मात्रा में स्टॉक जमा है। इसमें कहा गया है कि इस अतिरिक्त मात्रा के कारण निकट भविष्य में मानसून की कमी अथवा प्राकृतिक आपदा के कारण उत्पन्न होने वाली किसी भी आपदा की स्थिति से निपटने के लिए खाद्यान्नों की अतिरिक्त मात्रा उपलब्ध है।
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार मिट्टी में नमी की कमी के कारण चालू रबी सत्र में पिछले सप्ताह तक गेहूं खेती का कुल रकबा 11 लाख हेक्टेयर कम यानी 2.99 करोड़ हेक्टेयर ही था। एक जनवरी की स्थिति के अनुसार एफसीआई के पास 2.37 करोड़ टन गेहूं और 1.26 करोड़ टन चावल का स्टॉक था।
एफसीआई ने अपने स्टॉक को खपाने के लिए अभी तक 44.8 लाख टन गेहूं और 73,000 टन ए-ग्रेड चावल को खुले बाजार में उतारा है।
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