नई दिल्ली। दूध के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करने के लिए सरकार की कोई योजना नही है। शुक्रवार को संसद में यह बात बताई गई। संसद में बताया गया कि दूध जल्द खराब होने वाला उत्पाद है और इसका एमएसपी तय करने का अभी कोई प्रस्ताव नहीं है।
राज्य सभा में एक लिखित जवाब में मत्स्य, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री संजीव कुमार बालयान ने कहा कि उनका विभाग देश में दूध की कीमतों को नियमित नहीं करता है। दूध की कीमत कोऑपरेटिव और प्राइवेट डेयरी उत्पादन लागत के हिसाब से तय करती हैं।
उन्होंने कहा कि चूंकि दूध बहुत जल्द खराब होने वाला उत्पाद है इसलिए देश में दूध के लिए एमएसपी तय करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। मंत्री ने बताया कि देश में दूध का उत्पादन हर साल बढ़ रहा है। 2017-18 के दौरान देश में 17.635 करोड़ टन दूध का उत्पादन किया गया।
एक अन्य उत्तर में मंत्री ने ऊंट के दूध के संबंध में कहा कि केंद्र सरकार को ऊंट के दूध के एिल डेयरी स्थापित करने के लिए न तो राज्य सरकार से और न ही स्टेट डेयरी कोऑपरेटिव्स से कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है।
हालांकि, गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ), जो अमूल ब्रांड से दूध व दूध उत्पादों की बिक्री करती है, को ऊंट का दूध एकत्रित करने, चिंलिंग और प्रोसेसिंग के लिए मशीनरी और उपकरण खरीदने के लिए 2014-15 से 2017-18 के दौरान केंद्रीय योजना राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 2.65 करोड़ रुपए दिए गए हैं।
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