नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान देश में एटीएम की संख्या 10,000 घटकर 2.07 लाख रह गई है। शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की, जिसमें बताया गया है कि वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान देश में 2.08 लाख एटीएम थे, जिनकी संख्या एक साल में 10,000 कम हुई है। इसकी वजह कुछ सरकारी बैंकों द्वारा अपनी शाखाओं को तर्कसंगत बनाना है। रिपोर्ट में बताया गया है कि ऑपरेशनल ऑन-साइट एटीएम की संख्या भी इस दौरान घटर 1.06 लाख रह गई, जो वित्त वर्ष 2016-17 में 1.09 लाख थी। ऑफ-साइट एटीएम की संख्या 98,545 से बढ़कर 1 लाख पर पहुंच गई है।
आरबीआई ने ट्रेंड्स एंड प्रोग्रेस ऑफ बैंकिंग इन 2017-18 नामक रिपोर्ट में कहा है कि वित्त वर्ष 2017-18 में सरकारी बैंकों के एटीएम की संख्या घटकर 1.45 लाख रह गई, जो वित्त वर्ष 2016-17 में 1.48 लाख थी। हालांकि, प्राइवेट बैंकों ने अधिक एटीएम लगाए और उनकी संख्या वित्त वर्ष 2017-18 में बढ़कर 60,145 हो गई, जो वित्त वर्ष 2016-17 में 58,833 थी।
अप्रैल 2018 से अगस्त 2018 के बीच एटीएम की संख्या और घटकर 2.04 लाख रह गई, इसकी एक मुख्य वजह भुगतान के इलेक्ट्रॉनिक साधनों का बढ़ता उपयोग भी है। इसी अवधि के दौरान पूरे देश में प्वांइट्स ऑफ सेल (पीओएस) टर्मिनल्स की संख्या में बहुत अधिक वृद्धि हुई है। व्हाइट लेबल एटीएम की वृद्धि भी हाल के वर्षों में बढ़ी है, वित्त वर्ष 2017-18 में ऐसे एटीएम की संख्या 15,000 से अधिक हो गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्री-पेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स में भी जोरदार वृद्धि दर्ज की गई है। 2013-14 में प्री-पेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट के जरिये लेनदेन 8100 करोड़ रुपए था, जो वित्त वर्ष 2017-18 में बढ़कर 1.42 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया। वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के जरिये 1.09 लाख करोड़ रुपए मूल्य के 91.5 करोड़ लेनदेन किए गए।
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