नयी दिल्ली। बैंक खाता खोलने के लिए धर्म बताना अनिवार्य होने की खबरों को लेकर केंद्र सरकार ने शनिवार को स्पष्टीकरण दिया है। केंद्र सरकार ने अफवाहों का खंडन करते हुए कहा है कि किसी बैंक में नया खाता खुलवाने या पुराने खाते का सत्यापन कराने के लिए खाताधारक को उसके धर्म के बारे में जानकारी देने की जरूरत नहीं है। वित्त मंत्रालय में वित्त सचिव राजीव कुमार ने सोशल मीडिया पर चल रही ऐसी अफवाहों पर विश्वास नहीं करने को कहा है।
वित्त मंत्रालय में वित्त सचिव एवं वित्तीय सेवा विभाग के सचिव राजीव कुमार ने ट्विटर पर कहा, 'किसी भी भारतीय नागरिक को अपना बैंक खाता खुलवाने या पुराने खाते में अपने ग्राहक को जानो यानी केवाईसी अनुपालन मामले में अपने धर्म का खुलासा करने की कोई जरूरत नहीं है। जनता को ऐसी अफवाहों पर कतई विश्वास नहीं करना चाहिए।' सरकार की ओर से यह स्पष्टीकरण ऐसे समय आया है जब कुछ मीडिया खबरों में कहा जा रहा था कि बैंक खाता खुलवाने या सत्यापन करते समय उपभोक्ता से उनके धर्म के बारे में जानकारी मांग सकते हैं।
बता दें कि इससे पहले मीडिया रिपोट्स में आधिकारिक सूत्रों के हवाले से कहा गया था कि बहुत जल्द केवाईसी फॉर्म में धर्म के बारे में जानकारी देनी पड़ सकती है। इन रिपोर्ट्स में कहा गया था कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने फेमा एक्ट रेग्युलेशन किया है। इसके बाद ऐसी जानकारी की जरूरत पड़ सकती है। इससे एनआरओ अकाउंट्स खोलने और मुस्लिम के अलावा अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक लोगों को प्रॉपर्टी होल्डिंग में मदद मिल सकती है। कहा गया था कि आरबीआई की ओर से संशोधन के बाद इस नियम में नास्तिक और मुस्लिम प्रवासी शामिल नहीं होंगे। साथ ही म्यांमार, श्रीलंका और तिब्बत से आने वाले प्रवासी भी शामिल नहीं होंगे।
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