इंदौर। नोटबंदी के बाद जब देश भर में ATM के बाहर लोगों की लम्बी-लम्बी कतारें लगी थीं, तब क्या कुछ बैंकों ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के एक अहम आदेश की नाफरमानी करते हुए इन मशीनों के इस्तेमाल के लिए बचत खाता धारकों से व्यवहार शुल्क वसूलना जारी रखा था? सूचना के अधिकार RTI के तहत यह प्रश्न किये जाने पर रिजर्व बैंक ने बताया कि फिलहाल उसके संग्यान में इस आदेश के उल्लंघन का कोई मामला नहीं है।
मध्यप्रदेश के नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने बताया कि उनकी अर्जी पर RBI की केंद्रीय जनसूचना अधिकारी की ओर से उन्हें 21 अगस्त को भेजे जवाब में कहा गया है, RBI के आदेशानिर्देश का पालन सारे बैंकों द्वारा किया जाना अनिवार्य है। संदर्भति आदेश के उल्लंघन का कोई मामला आरबीआई के संग्यान में आज की दिनांक तक नहीं आया है। यह आरटीआई नोटबंदी के बाद RBI के 14 नवम्बर 2016 को जारी आदेश का हवाला देते हुए केंद्रीय बैंक से सवाल करने के लिए दाखिल की गई थी।
आदेश में करोड़ों बचत खाता धारकों को राहत देते हुए देश के सभी बैंकों से कहा गया था कि वे 30 दिसंबर 2016 तक ATM से किसी भी तरह के व्यवहार के बदले ग्राहकों से कोई शुल्क नहीं वसूलेंगे। RBI ने अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि शुल्क की यह माफी बचत खाता धारकों के मूल बैंक के साथ अन्य बैंकों के ATM इस्तेमाल पर भी लागू होगी। RTI के तहत आरबीआई से उन सभी बैंकों का ब्योरा मांगा गया था जिन्होंने RBI के इस आदेश को लागू किया था अथवा इसका उल्लंघन करते हुए संबंधित अवधि में ग्राहकों से ATM व्यवहार शुल्क की वसूली जारी रखी थी।
RTI के अलग-अलग सवालों पर रिजर्व बैंक ने कहा, आरबीआई के किसी आदेश या निर्देश का पालन नहीं किये जाने के किसी विशिष्ट मामले की सूचना प्राप्त होने पर आरबीआई द्वारा जांच और आवश्यक कार्वाई की जाती है। पिछले वित्तवर्ष की तीसरी तिमाही अक्तूबर-दिसंबर 2016 में 8 नवंबर 2016 की मध्यरात्री से 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट बंद किये जाने की घोषणा की गयी थी। उनकी अलग-अलग आरटीआई अर्जियों पर सार्वजनिक क्षेत्र के दो प्रमुख बैंकों से मिली जानकारी से पता चलता है कि नोटबंदी वाली तिमाही अक्तूबर-दिसंबर 2016 में देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक एसबीआई ने ATM व्यवहार शुल्क से 413.45 करोड़ रुपये कमाये, जबकि पंजाब नेशनल बैंक पीएनबी ने इस मद में 10.20 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया।
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