नई दिल्ली। खाड़ी अरब देशों के बीच बढ़ते विवाद का भारत पर कोई खास असर फिलहाल नहीं होगा। भारत की सबसे बड़ी नेचूरल गैस आयातक कंपनी पेट्रोनेट एलएनजी ने सोमवार को कहा है कि उसे ऐसा नहीं लगता कि कतर से होने वाली गैस आपूर्ति पर इसका कोई असर पड़ेगा।
क्या है विवाद की वजह
कतर की ओर से इस्लामी समूहों का समर्थन और ईरान के साथ रिश्तों को लेकर खाड़ी अरब देशों के बीच दरार और गहरी हो गई है। चार अरब देशों बहरीन, मिस्र, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने कतर के साथ राजनयिक संबंधों को खत्म करने की घोषणा की है।
कतर में साल 2022 में फीफा विश्व कप होना है और यहीं अमेरिकी सेना का प्रमुख अड्डा भी है। सऊदी अरब ने कहा कि कतर के सैनिकों को यमन में चल रही जंग से बाहर किया जाएगा। कतर सरकार ने राजनयिक संबंध तोड़ने पर प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि उसने पहले चरमपंथी समूहों का वित्तपोषण करने से इनकार किया था।
भारत और कतर ने हाल ही में द्वीपक्षीय व्यापार बढ़ाने पर किए हैं समझौते
भारत और कतर ने पिछले साल दिसंबर में ही एनर्जी और खनन जैसे क्षेत्रों में संयुक्त उपक्रम बनाने, खोज और विकास के लिए समझौते किए हैं। दोनों देश विक्रेता और खरीदार वाले संबंधों से इतर द्वीपक्षीय व्यापार और सहयोग बढ़ाने पर भी राजी हुए थे।
भारतीय कंपनियों ने कतर के हाइड्रोकार्बन सेक्टर के अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम प्रोजेक्ट्स में निवेश में अपनी रुचि दिखाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जून 2016 में कतर की यात्रा की थी। इसके बाद कतर के प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्लाह बिन नसीर बिन खलीफा अल थानी ने दिसंबर में भारत का दौरा किया।
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