नीति आयोग ने दी 15% मेथेनॉल मिश्रण को अनिवार्य करने की सलाह, 10 फीसदी सस्ता हो सकता है पेट्रोल
मीडिया खबरों के मुताबिक यदि नीति आयोग की कोशिश सफल हो जाती है तो आपको महीने भर के ईंधन खर्च पर 10 फीसदी की बचत हो सकती है।
नई दिल्ली। यदि नीति आयोग की कोशिशें सफल होती हैं तो जल्द ही आपको पेट्रोल के खर्च पर बड़ी राहत मिल सकती है। नीति आयोग ने केंद्रीय केबिनेट से सभी पेट्रोल वाहनों को अनिवार्य रूप से 15 फीसदी मेथेनॉल मिश्रित ईंधन पर चलाने की मंजूरी मांगी है। मीडिया खबरों के मुताबिक यदि नीति आयोग की कोशिश सफल हो जाती है तो आपको महीने भर के ईंधन खर्च पर 10 फीसदी की बचत हो सकती है। इसके साथ ही यह भारत द्वारा किए जा रहे महंगे तेल आयात में भी कमी देखने को मिल सकती है।
अंग्रेजी अखबार इकोनोमिक टाइम्स में छपी खबर के अनुसार जुलाई के अंतिम सप्ताह है इससे हुई एक उच्च स्तरीय बैठक हो चुकी है। खबर के मुताबिक केबिनेट सचिव पीके सिन्हा खुद ही व्यक्तिगत रूप से इस बारे में प्रगति पर निगाह रखे हुए हैं। नीति आयोग ने एक महत्वाकांक्षी मेथेनॉल इकॉनॉमी का रोडमैप तैयार किया है। इसके अनुसार मेथेनॉल का प्रयोग करते हुए भारत 2030 तक कच्चे तेल के आयात में 100 अरब डॉलर की कमी ला सकता है। इसका प्रयोग ट्रांसपोर्टेशन और खाना बनाने के ईंधन के रूप में हो सकता है। वर्तमान में, भारत में वाहन 10 प्रतिशत तक के एथेनॉल मिश्रण का प्रयोग करते हैं।
इस समय जहां पेट्रोल 75 से 80 रुपए के बीच उपलब्ध है वहीं एथेनॉल की कीमत सिर्फ 42 रुपए प्रति लीटर है। वहीं मेथेनॉल की अनुमानित कीमत 20 रुपए प्रति लीटर से भी कम है। 15 फीसदी मिश्रण से पेट्रोल की कीमतें 10 फीसदी तक घट सकती हैं। ऑटो उद्योग ने फिलहाल इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
ऑटोमोबाइल उद्योग की संस्था सियाम के डायरेक्टर जनरल विष्णु माथुर ने कहा है कि सरकार की इस पहल पर उद्योगों को आरएंडडी करने की जरूरत पड़ेगी। कंपनियों को पता करना होगा कि इसके लिए उन्हें वाहनों के इंजन में कितना बदलाव करना पड़ेगा। इस समय अधिकतर चार पहिया वाहनों को 18-20 प्रतिशत मिश्रण पर चलाने के लिए डिजाइन किया गया है। इस समय ईंधन में एथेनॉल का प्रयोग होता है।
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के आरएंडडी डायरेक्टर डॉ.एसएसवी रामाकुमार ने कहा कि तकनीकी रूप से मेथेनॉल मिश्रित पेट्रोल उपयोग के योग्य है। उन्होंने कहा कि यहां दो चुनौतियां हैं, पहला मिश्रित ईंधन का टिकाउपन और इंजन के साथ इसकी अनुकूलता। ऑइल और ऑटो इंडस्ट्री दोनों इस संबंध में मिल कर काम कर रही है।