नई दिल्ली। नीति आयोग ने 3 सरकारी बैंकों के निजीकरण की सलाह दी है। इन बैंकों में पंजाब एंड सिंध बैंक, यूको बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र शामिल हैं। इसके साथ ही आयोग ने सभी ग्रामीण बैंकों के मर्जर और एनबीएफसी को और ज्यादा छूट देने की बात भी कही है। इन बैंकों के निजीकरण के लिए सरकार को नियमों में कुछ बदलाव करने होंगे। सरकार को कंपनीज एक्ट में संशोधन करना होगा, क्योकि निजी करण के बाद बैंकों का मालिकाना हक निजी हाथों में चला जाएगा। सरकार बैंकों का निजी करण दो वजहों से करना चाहती है, पहला ये कि ये बैंक लगातार घाटे में चल रहे हैं, इससे निपटने के लिए सरकार निजी निवेश चाहती है। वहीं साथ ही सरकार की योजना है कि देश में सरकारी बैंकों की संख्या घटा कर 5 कर दी जाए, जिससे कई छोटे बैंकों की जगह कुछ बड़े बैंकों की स्थापना की जा सके, जो आने वाले समय में बड़े इंटरनेशल बैंकों को टक्कर दे सकें।
इसके साथ ही आयोग ने पोस्टल बैंक बनाने की भी सिफारिश की है, आयोग के मुताबिक सभी ग्रामीण बैंकों को नुकसान में चल रही इंडिया पोस्ट के साथ मिला दिए जाए। जिससे देश में मौजूद 15 लाख से ज्यादा पोस्टल आउटलेट्स की पहुंच और सुविधा का इस्तेमाल बेहतर तरीके से किया जाए। इससे वित्तीय सेवाओं को पोस्टल आउटलेट्स की मदद से देश के कोने कोने तक पहुंचाया जा सकेगा। वहीं नीति आयोग ने सलाह दी है कि बॉन्ड मार्केट में एनबीएफसी कंपनियों की हिस्सेदारी को लेकर छूट दी जाए।
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