नीति आयोग का जन स्वास्थ्य व्यवस्था मजबूत बनाने के लिये निगरानी सूचना मंच गठित करने का सुझाव
रिपोर्ट के मुताबिक गैर-संचारी रोगों के लिये निगरानी व्यवस्था को मजबूत बनाने और ‘डाटा एंट्री’ वाली परंपरागत निगरानी की जगह राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के अनुरूप हाल में विकसित डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग कर नई व्यवस्था लाने के लिये यह उपयुक्त समय है।
नई दिल्ली। नीति आयोग ने सोमवार को भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य निगरानी व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिये एक निगरानी सूचना मंच गठित करने का प्रस्ताव किया है। ‘दृष्टिकोण 2035: भारत में जन स्वास्थ्य निगरानी: श्वेत पत्र’ नाम से जारी रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘भारत की जन स्वास्थ्य निगरानी व्यवस्था बीमारी और स्वास्थ्य निगरानी के लिये भरोसेमंद, प्रतिक्रियाशील, एकीकृत और स्तरीय प्रणाली होगी।’’ नीति आयोग और कनाडा के मैनिटोबा विश्वविद्यालय द्वारा संयुक्त रूप से तैयार इस रिपोर्ट का मकसद भारत की जन स्वास्थ्य निगरानी प्रणाली को अधिक प्रतिक्रियाशील और भविष्योन्मुखी बनाकर हर स्तर पर कार्रवाई की तैयारी को बढ़ाना है। साथ ही इसका मकसद केन्द्र और राज्यों के बीच बीमारी की पहचान, बचाव और नियंत्रण को बेहतर बनाने के लिए एक संशोधित आंकड़ा भागीदारी तंत्र बनाना है।
आयोग ने कहा, ‘‘आने वाले समय में भारत की जन स्वास्थ्य निगरानी व्यक्तिगत इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड्स (ईएचआर) पर आधारित होगी, जो विशिष्ट स्वास्थ्य पहचानकर्ता (यूएचआईडी) के उपयोग के माध्यम से व्यक्तियों की स्वास्थ्य देखभाल से संबंधित सूचनाओं को रखती है और समेकित करती है।’’ आयोग ने महामारी संबंधित सूचनाओं के लिये आंकड़ा साझा करने, विश्लेषण और उसे तत्काल प्रसारित करने को लेकर प्रणाली स्थापित करने की भी वकालत की है। रिपोर्ट नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार और सदस्य (स्वास्थ्य) विनोद के पॉल ने जारी की। नीति आयोग ने एक बयान में कहा, ‘‘यह श्वेत पत्र त्रिस्तरीय जन स्वास्थ्य व्यवस्था को आयुष्मान भारत की परिकल्पना में शामिल करते हुए जन स्वास्थ्य निगरानी के लिए भारत के दृष्टिकोण 2035 को पेश करता है।’’ इसके अनुसार, ‘‘यह एक विस्तारित रेफरल नेटवर्क और प्रयोगशालाओं की क्षमता को बढ़ाने की आवश्यकता भी बताता है। इस परिकल्पना का मुख्य अंग केंद्र और राज्यों के बीच प्रशासन की परस्पर निर्भर संघीय व्यवस्था है, जिसके तहत नए विश्लेषण, स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और आंकड़ा विज्ञान का इस्तेमाल करके नया आंकड़ा भागीदारी तंत्र बनाना है, जिसमें कार्रवाई के लिए सूचना का प्रसार करने के नये तरीके (सोशल मीडिया, मोबाइल सेंसर नेटवर्क आदि) शामिल हों।’’
रिपोर्ट की प्रस्तावना में कुमार ने लिखा है कि भारत ने फैलने वाली प्रमुख बीमारियों (संचारी रोग) की रोकथाम, नियंत्रण और उसके उन्मूलन के मामले में उल्लेखनीय प्रगति की है। उन्होंने कहा, ‘‘गैर-संचारी रोगों के लिये निगरानी व्यवस्था को मजबूत बनाने और ‘डाटा एंट्री’ वाली परंपरागत निगरानी की जगह राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के अनुरूप हाल में विकसित डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग कर नई व्यवस्था लाने के लिये यह उपयुक्त समय है।’’ पॉल ने कहा कि जब भारत और दुनिया कोविड-19 महामारी से निपट रहे हैं, ऐसे समय यह रिपोर्ट काफी प्रासंगिक है। उन्होंने कहा, ‘‘कोविड-19 से हमें जो सीख मिली है और महामारी को काबू में लाने, बीमारियों के प्रभाव को कम करने तथा उसके उन्मूलन के पिछले अनुभव के आधार पर हमें निश्चित रूप से जन स्वास्थ्य निगरानी को बढ़ानी चाहिए।’’ आधिकारिक बयान के अनुसार कोविड -19 महामारी ने हमें वह अवसर प्रदान किया है, जिसमें मानव-पशु-पर्यावरण के बीच बढ़ते सम्पर्क के चलते बीमारियों के उभरने पर ध्यान दिये जाने की जरूरत है।