नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा, बिजली क्षेत्र में कंपनियों की लागत पर नहीं हो सब्सिडी वितरण
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने बिजली सब्सिडी नीति में आमूल चूल बदलाव पर बल देते हुए कहा कि वितरण कंपनियों की लागत पर सब्सिडी देने की व्यवस्था खत्म हो
नई दिल्ली। नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमिताभ कांत ने बिजली सब्सिडी नीति में आमूल चूल बदलाव पर बल देते हुए बुधवार को कहा कि वितरण कंपनियों की लागत पर सब्सिडी देने की व्यवस्था खत्म हो तथा लक्षित उपभोक्ताओं को उनके खाते में सब्सिडी का अंतरण सीधे किया जाए। उन्होंने उपभोक्ताओं के एक वर्ग को सस्ती बिजली देने के लिए दूसरे वर्ग से ऊंचा मूल्य वसूलने की क्रॉस सब्सिडी व्यवस्था भी बंद करने पर बल दिया।
उन्होंने सब्सिडी को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के जरिए दिए जाने और उसे आधार से जोड़ने तथा बिजली वितरण में तकनीकी व वाणिज्यिक नुकसान रोकने के लिए फीडर लाइनों की निगरानी सख्त करने की भी आवश्यकता बतायी।
बिजली उद्योग के सम्मेलन ‘इंडिया एनर्जी फोरम’ के कार्यक्रम में कांत ने कहा कि,
बिजली क्षेत्र की मजबूती के लिए वितरण कंपनियों का मजबूत होना जरूरी है। इसके लिए जरूरी है कि इसमें निजी कंपनियों को लाया जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि सतत रूप से 9 से 10 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि हासिल करने में बिजली क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका होगी। कांत ने कहा कि राज्यों में क्रास सब्सिडी नहीं हो और साथ ही जो भी सब्सिडी दी जा रही है, वह बिजली वितरण कंपनियों की लागत पर न हो। बिजली क्षेत्र में जो सब्सिडी दी जा रही है उसका हस्तांतरण डीबीटी (प्रत्यक्ष लाभ अंतरण) के जरिए किए जाने और उसे आधार से जोड़ने की जरूरत है।
उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में पायलट परियोजना गोवा में चलायी जा रही है। उन्होंने कहा कि देश में बिजली वितरण की बेहतर व्यवस्था और सभी घरों को विद्युत पहुंचाने के लिए फीडरों पर नजर रखने की जरूरत है और इसके बिना हम उदय योजना के जरिए भी वितरण नुकसान को कम नहीं कर सकते।
कांत ने यह भी कहा कि उदय योजना के बावजूद वितरण कंपनियों का तकनीकी और वाणिज्यिक नुकसान (एटी एंड सी) नहीं सुधरा है बल्कि यह और बिगड़ा है और इसके लिये फीडर पर नजर रखने की जरूरत है। उदय बिजली वितरण कंपनियों को वित्तीय रूप से पटरी पर लाने की योजना है।
कांत ने कहा कि,
उदय योजना की सफलता के लिये जरूरी है कि फीडरों पर करीबी नजर रखी जाए। गांवों में 1.22 लाख फीडर हैं लेकिन हम केवल चार हजार पर ही नजर रख पा रहे हैं। इसी प्रकार शहरी क्षेत्रों में 32,168 फीडर में से केवल 80 प्रतिशत पर ही नजर रखी जा रही है।
कांत ने कहा कि शहरों और उद्योग को सातों दिन 24 घंटे बिजली देने के लिये फीडर पर नजर रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सभी गांवों और घरों तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। इसमें से जो गांव अब बचे हैं, वे सभी कठिन भौगोलिक क्षेत्र में हैं और इस पर काम जारी है।
बिजली मंत्रालय के गर्व डैशबोर्ड के अनुसार कुल 18,452 गांवों में 15,022 गांवों में बिजली पहुंचाई जा चुकी है जबकि 1035 गांव ऐसे हैं जहां कोई नहीं रहता। शेष 2395 गांवों में बिजली पहुंचाने का काम जारी है। सरकार ने इस साल दिसंबर तक यह लक्ष्य पूरा करने का लक्ष्य रखा है। वहीं लगभग चार करोड़ बिजली से वंचित परिवार को दिसंबर 2018 तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।
नीति आयोग के सीईओ ने नए दक्ष बिजली संयंत्रों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि 98,000 मेगावाट के बिजली संयंत्र पेटकोक, फर्नेस आयल और डीजल पर चल रहे हैं। इन ईंधन के उपयोग पर अंकुश लगाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने इस दिशा में कदम नहीं उठाया तो उच्चतम न्यायालय एक दिन काम करेगा।
अमिताभ कांत ने बिजली क्षेत्र में 1.8 लाख करोड़ रुपए की संपत्ति फंसे होने का भी जिक्र किया और कहा कि अगर इस दिशा में कदम नहीं उठाए गए तो यह पांच लाख करोड़ रुपए पहुंच सकता है। ट्रांसमिशन क्षेत्र में उन्होंने कृषि फीडर को अलग करने पर जोर दिया।
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