हैदराबाद। राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडीपीआर) भारतीय किसानों की आय दोगुनी करने में मदद करने के लिए एक्वाकल्चर में एक नई तकनीक पर काम कर रहा है। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, संस्थान ने हाल ही में कोचीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा विकसित एक बैकयार्ड री सर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम स्थापित किया है।
यह प्रणाली पिंजरों में मछलियों के उच्च घनत्व संग्रहण में मदद करती है। संस्थान ने अपने एक बयान में कहा कि यह एक तालाब में छोटे-छोटे पिंजरों में विभिन्न किस्म व आकार की मछलियों को संग्रहीत करने में मदद करेगा। इस प्रणाली के लिए चूंकि पानी की जरूरत काफी कम है, इसलिए विभिन्न पिंजरों में मछली की उच्च घनत्व वाली स्टॉकिंग मछली पकड़ने में लचीलापन लाएगी।
एनआईआरडीपीआर के महानिदेशक डब्ल्यू.आर. रेड्डी ने कहा कि हम एकीकृत कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देकर किसानों की आय दोगुनी कर सकते हैं। इस तरह के स्मार्ट खेती समाधान युवाओं को व्यवसाय के लिए प्रभावित करेंगे।
खास बात यह है कि इस प्रणाली में मछली की विभिन्न किस्मों को उगाया जा सकता है, जिसमें तिलपिया, पंगासियस, मुरेल और पर्लस्पॉट शामिल हैं। इसमें औसतन 25750 रुपये के मासिक लाभ की उम्मीद की जा सकती है। एक्वाकल्चर प्रणाली कम पानी की उपलब्धता वाले क्षेत्रों में किसानों की आय दोगुनी करने में मदद कर सकता है।
मत्स्य पालन में रुचि रखने वाले किसान, स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) व युवाओं के लिए एनआईआरडीपीआर स्थित ग्रामीण औद्योगिकी पार्क में प्रणाली से संबंधित जरूरी जानकारी दी जाएगी।
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